पुणे

Published: Jun 28, 2020 09:56 PM IST

बचावगलवान घाटी घटना पर राजनीति करना ठीक नहीं, शरद पवार ने किया रक्षामंत्री का बचाव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

सातारा. सीमा विवाद के चलते भारत और चीन के बीच जारी तनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी वॉर छिड़ा है. इसी दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जो महाराष्ट्र की सरकार में कांग्रेस और शिवसेना के साथ है, के प्रमुख शरद पवार ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का बचाव किया है. उन्होंने सातारा में संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. यह याद रखना चाहिए कि चीन ने 1962 युद्ध के बाद लगभग 45 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया था.

झड़प हुई यानी सतर्क थे हमारे सैनिक

पूर्व रक्षामंत्री शरद पवार की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप के बाद आई है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सरेंडर मोदी’ कहते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने भारतीय क्षेत्र को चीन को समर्पित कर दिया था. 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इसमें चीन की सेना को भी बड़ा नुकसान हुआ है. पवार ने यह भी कहा कि लद्दाख में गलवान घाटी की घटना को तुरंत रक्षा मंत्री की विफलता के रूप में नहीं देखा जा सकता. गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई, इसका मतलब है कि हमारे सैनिक सीमा पर हमेशा सतर्क रहते हैं.

घटना को विफलता के रूप में नहीं देखना चाहिए

सातारा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा कि यह पूरा प्रकरण बेहद संवेदनशील है. चीन की ओर से ही गलवान घाटी में उकसाने की कोशिश हुई. भारत अपनी सीमा के भीतर गलवान घाटी में एक सड़क का निर्माण कर रहा था. चीनी सैनिकों ने बीच में आकर अतिक्रमण का प्रयास किया. हमारे सैनिकों के साथ धक्कामुक्की की. यह किसी की किसी की विफलता नहीं थी. यदि पेट्रोलिंग के दौरान कोई आपके क्षेत्र में आता है, तो हम यह नहीं कह सकते कि यह रक्षामंत्री की विफलता है. वहां पर पेट्रोलिंग चल रही थी. लड़ाई हुई, इसका मतलब है कि आप सतर्क थे. अगर हमारे सैनिक नहीं होते तो चीनी सैनिक कब अंदर आ जाते. इसलिए इस समय इस तरह के आरोप लगाना सही है.

1962 का युद्ध हम भूल नहीं सकते

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप के बारे में पूछने पर शरद पवार ने कहा कि कोई भी यह नहीं भूल सकता है कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद चीन ने भारत की लगभग 45 हजार वर्ग किमी भूमि पर कब्जा कर लिया था. वह जमीन अभी भी चीन के पास है. मुझे नहीं पता कि क्या चीन अब किसी क्षेत्र पर फिर से अतिक्रमण कर चुके हैं या नहीं. मगर जब मैं एक आरोप लगाता हूं, तो मुझे यह भी देखना चाहिए कि जब मैं सत्ता में था तो क्या हुआ था. इतनी बड़ी भूमि का अतिक्रमण किया गया, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.