ठाणे

Published: Mar 22, 2022 07:04 PM IST

Thaneठाणे में जिम्नास्टिक सेंटर और नेचर पार्क के नामकरण पर विवाद, मनसे ने किया विरोध

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

ठाणे : ठाणे के पोखरण रोड (Pokhran Road) पर जिम्नास्टिक सेंटर (Gymnastics Centre) और नेचर पार्क (Nature Park) का नाम स्थानीय लोगों की मांगों पर विचार किए बगैर स्थानीय नगरसेवकों (Local Corporators) द्वारा मनमानी तरीके से नामकरण कराना अब महंगा साबित हो रहा है। क्योंकि इस नामकरण को आदिवासी समुदाय और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (Maharashtra Navnirman Sena) के पदाधिकारियों ने कड़ा विरोध करते हुए संयुक्त रूप से आंदोलन किया।

इन लोगों ने मांग की है कि जिम्नास्टिक केंद्र का नाम बाबूराव सरनाईक के बजाय पद्मश्री अंतर्राष्ट्रीय जिमनास्ट दीपा कर्माकर के नाम पर रखा जाए और नेचर पार्क का नाम आदिवासियों के अग्रज और प्रकृति उपासक बिरसा मुंडा के नाम पर रखा जाए। इस संबंध में मनसे की ओर से महानगरपालिका कमिश्नर को पत्र भी दिया गया है और मांग की है कि प्रशासन जनता की राय का सम्मान करते हुए फैसला करे।

ठाणे महानगरपालिका को हस्तांतरित किया है

ठाणे के पोखरण रोड नंबर 2 पर जिम्नास्टिक सेंटर का काम पूरा हो चुका है, लेकिन इसका उद्घाटन नहीं हो पाया है। स्थानीय जनप्रतिनिधि सीधे परियोजना पर बाबूराव सरनाईक के नाम की पट्टिका लगाया जाने वाला है। साथ ही यहां से कुछ ही दूरी पर प्रांगण आवास परिसर के पास बने नेचर पार्क का नाम जनप्रतिनिधियों के माध्यम से इंदिरा सरनाईक के नाम पर रखा गया है। जबकि, इन दोनों परियोजनाओं का निर्माण यहां के एक डेवलपर द्वारा किया गया है और ठाणे महानगरपालिका को हस्तांतरित किया है।

इंदिरा सरनाईक के जगह रखने की मांग

जिम्नास्टिक केंद्र में आने वाले सभी जिम्नास्ट को यह प्रेरणादायी लगेगा, ऐसे पद्मश्री अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्ट दीपा कर्माकर के नाम पर नामकरण किये जाने की मांग यहां के रहिवासियों और मनसे ने किया है। साथ ही आसपास के क्षेत्र में आदिवासियों की भारी संख्या की मांग को देखते हुए प्रकृति उपासक क्रांति सूर्य बिरसा मुंडा के नाम पर प्रकृति पार्क का नाम इंदिरा सरनाईक के जगह रखने की मांग कर रहे है। इस संदर्भ में यहां के आदिवासियों ने मनसे के विद्यार्थी विंग के अध्यक्ष संदीप पाचंगे के नेतृत्व में मंगलवार को जिम्नास्टिक इन लोगों ने महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. विपिन शर्मा से मांग की है कि इन दोनों वस्तुओं के नामकरण के दौरान जनता की राय का सम्मान रखा जाना चाहिए। इस आंदोलन में अमोल राणे, प्रमोद पटाडे, आदिवासी श्रमिक संघर्ष संगठन के अध्यक्ष हंसराज खेवरा, जितेंद्र भोए, हेमंत महाले, स्थानीय गिरीश हेगिस्टे, गणेश कायस्थ, श्रीकांत अधाराव, समाधान साल्वी, संदेश बाबार्डेकर, आशीष दुधवडकर, शुभम गायकवाड आदि उपस्थित थे।