ठाणे

Published: May 05, 2023 05:58 PM IST

Kasadi Riverपनवेल की कासाडी नदी को बचाने के लिए मुंबई आईआईटी ने तैयार किया प्रस्ताव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नवी मुंबई: पनवेल की कासाडी नदी (Kasadi River) को दोबारा जीवन देने के लिए मुंबई आईआईटी (Mumbai IIT) ने 235 पन्नों का प्रस्ताव तैयार कर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण महामंडल (Maharashtra Pollution Control Corporation) को दिया है। यह नदी तलोजा एमआईडीसी (Taloja MIDC) क्षेत्र से गुजरती है, जिसकी वजह से यहां की अधिकांश केमिकल कंपनियां जहरीले केमिकल को सीधे नदी में बहा देती हैं, जिसकी वजह से यह नदी अपना अस्तित्व खो चुकी है। नदी के इस अस्तित्व को बचाने के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने भी सरकार से नदी को बचाने की गुहार लगायी थी। 

इस नदी को बचाने के लिए मुंबई आईआईटी के इंजीनियरिंग विभाग और पर्यावरण विभाग ने मिलकर एक साझा प्रस्ताव तैयार किया है और उस प्रस्ताव को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण महामंडल के पास भेजा है। आईआईटी द्वारा प्रस्ताव तैयार किए जाने के बाद पर्यावरण प्रेमियों को इस बात की उम्मीद जगी है कि अब इस नदी को बचाया जा सकेगा।

नदी में मिले केमिकल की मात्रा अधिक 

कासाडी नदी में किस तरह का प्रदूषण है और इस प्रदूषण से कैसे बचा जा सकता है इस बात का उल्लेख भी इस रिपोर्ट में किया गया है। नदी के पानी का जो नमूना लिया गया है उसमें ऑक्सीजन के घनत्व को बेहद काम पाया गया है साथ ही इस नदी के पानी में केमिकल मिले होने की मात्रा अधिक बताई गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है जिस तरीके से इस नदी में केमिकल छोड़ा जा रहा है उसे देखते हुए इस नदी में रहने वाले जीव जंतु का जीना मुश्किल हो जाएगा। 

मुंबई आईआईटी ने सौंपी रिर्पोट

इस नदी को बचाने के लिए पनवेल के पूर्व नगरसेवक अरविन्द म्हात्रे लम्बे समय से प्रयास कर रहे थे। उन्होंने इस नदी को बचाने के लिए राष्ट्रीय संस्थान को पत्र भी लिखा था, जिसे गंभीरता से लिया गया। इस नदी को लेकर आईआईटी मुंबई के माध्यम से एक रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया गया था। उसी आदेश में मुंबई आईआईटी ने रिपोर्ट तैयार कर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण महामंडल को सौपा हैं। 

मुंबई आईआईटी ने दिए ये सुझाव 

रंग बदलने वाली नदी की है पहचान 

पनवेल के आसपास के लोग इस नदी को रंग बदलने वाली नदी के रूप में जानते हैं। कहा जाता है कि जब इस नदी का पानी स्वच्छ था। उस समय इस नदी का पानी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रंगो में दिखता था, लेकिन कंपनियों द्वारा छोड़े जाने वाले केमिकल युक्त पानी की वजह से इस नदी की पहचान ही खो गयी है। 

इस नदी में दिन प्रति दिन प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है , कोई भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा था, लेकिन ऐसा लगता है कि इस नदी को अब एक बार फिर से नया जीवन मिलेगा और नदी केमिकल युक्त पानी से मुक्त हो जाएगी।

-अरविंद म्हात्रे, पूर्व नगरसेवक पनवेल महानगरपालिका