वर्धा
Published: Jun 29, 2020 10:59 PM ISTकोरोना वायरसकोरोना से कामकाज प्रभावित, शासकीय कार्यालयों में 3 माह नहीं हो रहा काम
- अनेक प्रकरण प्रलंबित
वर्धा. कोरोना वायरस के संक्रमण का असर आम आदमी के साथ ही सरकारी कार्यालयों के कामकाज पर पड़ने उसकी गति प्रभावित हो गई है. जिलाधिकारी, उपविभागीय अधिकारी, तहसील कार्यालय के साथ ही अन्य विभागों के काम अत्यंत कछुआ गति से होने के कारण अनेक प्रकरण प्रलंबित पड़े हुए हैं.
सरकार ने 23 मार्च से लॉकडाउन घोषित कर दिया़ तीसरे चरण के लॉकडाउन तक प्रशासकीय कामकाज पूर्णत: ठप पड़ गया था़ चौथे लॉकडाउन में सरकार ने 10 फीसदी कर्मचारी व उसके कुछ दिनों बाद 50 फीसदी कर्मचारियों की उपस्थिति को मंजूरी दी़ महत्वपूर्ण कामों पर अधिक जोर देने कहा. पांचवें लॉकडाउन में लगभग सभी सरकारी दफ्तरों का काम शुरू कर दिया गया़ नियमों के अधिनस्थ रहकर कर्मचारी अपनी सेवा दे रहे है़ं परंतु उनका अधिकतम समय प्रतिबंधात्मक उपाय योजना करने में जा रहा है़ ऐसे में सरकारी कामकाज प्रभावित हो गया है़ अत्यंत कछुआ गति से काम चल रहा है. दस से पंद्रह दिनों तक प्रकरणों का निपटारा हो पा रहा है. राजस्व विभाग से जुड़े सैकड़ों प्रकरण रोज दाखिल होते हैं.
लीज से जुड़े अनेक मामले लंबित
लीज की समस्या को देखते हुए सरकार ने लीज के संदर्भ में आदेश जारी किया. आदेश के अनुसार फ्री होल्ड में अनेक प्रकरण जिलाधिकारी कार्यालय में जनवरी माह में दाखिल हुये हैं, किंतु इन प्रकरणों पर अब तक कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई है़ एनएटीपी के भी अनेक काम प्रलंबित है, जिससे अनेक लेआउट की मंजूरी लटकी है. शहर व आसपडोस में निर्माण कार्य संबंधी मंजूरी के प्रकरण अटके हुए है़ं आम जनता भी अनेक शिकायतें लेकर पहुंच रही है, किंतु उन्हें राहत नहीं मिल रही़ कर्मचारी खुद को व्यस्त बताते नजर आ रहे है़ं सीधे मुंह नागरिकों से बात तक नहीं की जाती़ इस ओर वरिष्ठ अधिकारी से गंभीरता से ध्यान देने की मांग नागरिकों ने की है.
किसान लगा रहे दफ्तरों के चक्कर
बैंक व प्रशासन के चक्रव्यूह में किसान भी पीस रहा है़ कर्जमाफी में लाभपात्र किसानों के पास प्रमाणपत्र होते हुए भी उन्हें बैंक कर्ज नहीं दे रही. वहीं नए से कर्ज लेने के लिए पहुंच रहे किसानों को बैंक द्वारा प्रशासन से सूची प्राप्त न होने की बात कहकर लौटाया जा रहा है. किसान सरकारी दफ्तरों में पहुंचने पर सूची बैंकों की ओर भेजने की बात कही जा रही है. सभी प्रकार के दस्तावेज पेश करने पर भी किसान बैंक व सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पर मजबूर है़