वर्धा

Published: Nov 30, 2020 11:51 PM IST

वर्धाग्रंथालय कर्मियों के हाथ फिर लगी निराशा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File Photo

– गजानन गावंडे 

वर्धा. सरकार ने सार्वजनिक ग्रंथालय के बकाया अनुदान को मंजुरी प्रदान की. मात्र शुरू आर्थिक वर्ष का प्रथम हप्ता व पुरानी बकाया राशी का प्रावधान सरकार करेगी, ऐसी उम्मीद ग्रंथालय कर्मियों को थी. किंतु सरकार ने केवल 12 करोड का प्रावधान करने से कर्मियों के हाथ निराशा लगी है. इससे कर्मियों में रोष व्याप्त है.

सरकार व्दारा ग्रंथालय को अनुदान देते समय सौतेला व्यवहार निरंतर किया जाता है. ग्रंथालय में कार्यरत कर्मियों को अन्य विभागों के कर्मियों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता है. वेतन बढाने की मांग कर्मी बिते अनेक वर्ष से कर रहे है. किंतु उनकी मांगों की और सरकार की अनदेखी हो रही है. सन 2020-2021 आर्थिक वर्ष के सहायक अनुदान के लिये प्रथम चरण में 54 करोड 43 लाख रूपयों की आवश्यकता थी. परंतु सरकार ने 12 करोड 37 लाख 50 हजार के अनुदान को मंजुरी प्रदान की. सार्वजनिक ग्रंथालय का बकाया अनुदान देने की घोषणा सरकार ने तीन माह पुर्व की थी. लेकीन राशी नहीं देने के कारण 21 हजार कर्मियों की दिवाली अंधेरे में गई थी. 2020-21 के सहायक अनुदान के लिये कुल 123 करोड 75 लाख रूपयों का प्रावधान करने की घोषणा उच्च व तंत्र शिक्षण मंत्री उदय सावंत ने की थी. राज्य में शतप्रतिशत अनुदान पर 12 सार्वजनिक ग्रंथालय है. ग्रंथालय में काम करनेवाले कर्मियों को कम वेतन मिलता है. जिससे उनके सामने निरंतर आर्थिक समस्या निर्माण होती है. अब अनुदान की राशी कम दिये जाने के कारण ग्रंथालयों के सामने अनेक समस्या निर्माण होनेवाली है. मिलनेवाली राशी से कर्मियों का बकाया वेतन दिया जाये अथवा ग्रंथालय में सुविधा उपलब्ध कराई जाये, ऐसा प्रश्न निर्माण हुआ है. 

9 माह से नही कर्मियों को वेतन

सार्वजनिक ग्रंथालय में राज्य में कार्यरत कुल 22 हजार 500 कर्मियो को बिते 9 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण उनके सामने गंभीर प्रश्न निर्माण हुआ है. पहले ही वेतन कम ऐसे में सरकार व्दारा अनुदान समय पर नही दिये जाने के कारण आर्थिक तंगी के चलते कुछ कर्मियों ने आत्महत्या की. तो कुछ कर्मी आर्थिक तंगी के चलते समय पर उपचार नहीं कर सके. जिससे उनकी मौत हो गई. सोलापुर के ग्रंथालय कर्मी ने ग्रंथालय में आत्महत्या की थी. गोंदिया जिले के मोहाडी निवासी ग्रंथालय कर्मी व चाकूर निवासी सेविका का पर आर्थिक समस्या के चलते समय पर उपचार नहीं होने के कारण मृत्यू हुआ था.

2012 से नहीं बढा अनुदान

ग्रंथालय के अनुदान में पांच वर्ष के उपरांत दुगनी बढोतरी की जाती थी. किंतु सन 2012 से अबतक अनुदान में बढोत्तरी नहीं की गई. साथ ग्रंथालय का दर्जा, नये ग्रंथालय को मान्यता आदि सरकार ने बंद कर दी है. इस संदर्भ में ग्रंथालय संगठनों व्दारा निरंतर पत्राचार करने के बावजूद सरकार व्दारा केवल आश्वासन दिया जा रहा है. 

ग्रंथालय की और सरकार की अनदेखी

ग्रंथालय व वहां कार्यरत कर्मीयों की और सरकार की निरंतर अनदेखी हो रही है. इस वर्ष के प्रथम चरण के अनुदान के रूप में 54 करोड रूपये मिलने चाहिएं थे. किंतु सरकार ने 12 करोड का प्रावधान किया है. उक्त राशी में गत वर्ष की 1 करोड 30 लाख की बकाया राशी है. सरकार ने सिर्फ 22 प्रश प्रावधान किया है. 9 माह से कर्मियों को वेतन नही है. 2012 से अनुदान नहीं बढाया गया है. आज ग्रंथालय के सामने अनेक समस्यांए है. आर्थिक तंगी के चलते कर्मी आत्महत्या कर रहे है. सरकार केवल आश्वासन दे रही है.

-डा.गजानन कोटेवार, प्रमुख कार्यवाह, म.रा.ग्रंथालय संघ

कम राशी में ग्रंथालय कैसे चलाये

सरकार ने ग्रंथालय के लिये कम अनुदान दिया है. ऐसे में ग्रंथालय के लिये पाठकों के पसंद की किताबे व अन्य सामुग्री खरिद नही सकते. कर्मियों के वेतन के लिये भी पर्याप्त राशी नही है. अनुदान कम होने के कारण सभी के हिस्सें में कम राशी आयेगी. इस राशी से ग्रंथालय कैसे चलाये.

-डा.विलास भिमनवार, जिला ग्रंथालय सदस्य