वर्धा

Published: Jun 24, 2020 08:54 PM IST

कोरोना वायरसलॉकडाउन: अब तो सब्र हो गया, मिले आजादी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

वर्धा. लॉकडाउन के कारण सभी का जीवन कैद हो गया है. व्यापार से लेकर आमआदमी के जीवन पर भी इसका बुरा असर पडा है. जिससे अब सब्र हो गया, अब तो आजादी मिले, ऐसी भावनाए व्यक्त होने लगी है. लॉकडाउन के चलते देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही सभी की आर्थिक हालत बिगड चुकी है. अनेकों का रोजगार जाने के कारण उनपर भुखे मरने की नौबत आ गई है. परिणामवश 30 जून के उपरांत सबकुछ पहले की तरह हो ऐसा अपेक्षा व्यापारी, मजदूर से लेकर आमजन कर रहे है.

कोरोना संक्रमन के कारण 23 मार्च से लॉकडाउन घोषित किया गया है. शुरू में सख्ती से लॉकडाउन पर अमल किया गया. किंतु लॉकडाउन 3 के बाद थोडी आजादी दी गई. लॉकडाउन 4 में बडी राहत मिलने का अनुमान था. लेकीन सरकार ने कुछ शर्तो पर छुट दी. वर्धा जिला शुरू से कोरोना संक्रमन से काफी दूर रहा. 9 मई तक जिला ग्रीन जोन में रहा. अपितुं 10 मई को जिले में कोरोना ने दस्तक दे दी. अन्य जिलों से आये नागरिकों के कारण वर्धा में कोरोना पहुंचा. जिले में 30 संक्रमित अबतक मिले है. बावजूद इसके जिले के निवासी केवल 14 ही है. प्रशासन के कडे उपाययोजना के कारण विदर्भ के अन्य जिलों की तुलना में वर्धा कोरोना संक्रमन से काफी दूर रहा है. राज्य का एकमात्र कम मरीज होनेवाला जिला वर्धा है. ऐसे परिस्थितियों में वर्धा जिले में पाबंदी कठोरता लगाना कितना उचित है.

प्रशासन ने दुकाने खोलने का समय सुबह 9 से शाम 5 बजे तक दिया है. समयपूर्व तथा समय के उपरांत दुकाने शुरू रहने पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाती है. जीवनावश्यक वस्तुओं का काम सुरज की किरणों के साथ ही होता. दिन भर काम करने के उपरांत घर लोटते समय अनेक नागरिक परिवार के आवश्यकता की वस्तु शाम के समय खरीदकर घर ले जाते है. किंतु समय की पाबंदी के कारण उनकी आवश्यकता पर भी अंकुश लग गया है. लॉकडाउन 4 में सुबह 5 से रात 9 बजे तक घुमने की आजादी मिली है. लेकीन व्यक्ति से संबधित सभी काम व व्यवसाय सुबह से देर रात तक होते. समय पाबंदी के कारण व्यक्ति के मुल अधिकारों पर अंकुश लग गया है.

सरकार ने लॉकडाउन 4 राहत दी थी. लेकीन अनेक व्यवसायों पर पाबंदी लगाई थी. जिसमें सलून, पानटपरी, चाय कैटींग, इवेंट मैनेजमेंट, कैटरिंग आदि व्यवसाय आज बंद  है. इन व्यवसायों पर सैंकडों परिवारों का पालनपोषण होता है. सलून दुकान बंद होने से नाभिक समाज पर आर्थिक संकट आन पडा है. आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने अपनी स्थिति से सरकार को अवगत कराया. लेकीन सरकार ने सुद नही ली. चाय व पान टपरी पर भी अनेकों का परिवार चलता है.

चाय कैटींग के कारण किसानों का सैंकडो लीटर दुध बिक जाता था. अपितु कैटींग बंद होने से प्रतिदिन सैंकडों लीटर दुध फेकने की नौबत गोपालकों पर आयी है. उसी तरह शिक्षा क्षेत्र पर भी लॉकडाऊन का असर हुआ है. स्कूल, कॉलेज बंद है. ट्यूशन तक बंद रखी गई है. परिणामवश विद्यार्थियों का भारी नुकसान हो रहा है. साथ ही अनेक शैक्षणिक संस्थाएं, काम करनेवाले कर्मचारी, शिक्षक भी वेतन से वंचित है. दिन भर चहल पहल रहती है. शाम होते ही सडकों पर सन्नाटा छा जाता है. जिलाबंदी होने के कारण महत्वपूर्ण काम होने के बाद भी नागरिक जिले से बाहर नही जा सकते है. जिलाबंदी का असर कृषि मालों पर भी पडा है.

जिले से प्रतिदिन बडे पैमाने पर सब्जीयां नागपूर तथा अन्य जगह जाती थी. आज सब्जीयां अन्य जगह नही जाने के कारण किसानों को कम दामों में बेचनी पड रही है. परिवहन सेवा पर भी निर्बंध लगाये गये है. एसटी की सेवा नही के बराबर होने से ग्रामीण क्षेत्र का आधार ही चला गया है.

ग्रामीण गावं से दुध, दही व अन्य साम्रुगी शहर में बिक्री के लिये लेकर आता था. वह भी आज परिवहन सेवा नही होने के कारण नही ला पा रहा है. जिले के कारण रेलवे से प्रतिदिन अन्य जगह रोजगार हेतू जाते थे. आमआदमी के लिये सवारी गाडी बडा सहारा थी. वह भी बंद पडी है.

एक्सप्रेस गाडियों की संख्या नही के बराबर है. प्रतिदिन वर्धा व सेवाग्राम स्टेशन से 150 के करीब यात्री गाडियां गुजरती थी. जिनकी संख्या आज 5 तक समित हो गई है. जिले में बालाघाट व मध्यप्रदेश के मजदूर बडी संख्या में रोजगार हेतू आते थे. कोरोना के कारण वह गाव लौट गये. गाव में भी काम नही होने के कारण वह फिर लौटना चाहते है. लेकीन परिवहन सुविधा व अनुमति नही होने के कारण आ नही सकते. मजदूर जाने के कारण बांधकाम से लेकर अनेक कार्य गत तीन माह से बंद पडे है.

कोरोना के चलते सरकारने लगाये लॉकडाउन के कारण नागरिकों की जिंदगी ही अब खटाई पड गई है. लॉकडाउन 4 आनेवाले 30 जून को समाप्त हो रहा है. ऐसे में अब सरकार स्वास्थ जांच कर सभी सेवायें पहले की तरह करने पर पहल करना आवश्यक है. नही तो अनेकों के सामने भीषण संकट आ सकता है.