वाशिम
Published: Sep 12, 2021 08:59 PM ISTजिले में आकर्षण का केंद्र बनी सोयाबीन के दानों से बनी श्रीगणेश की प्रतिमा
वाशिम. सोयाबीन के बाजार मूल्य में हुई भारी वृद्धि यह पश्चिम विदर्भ के किसानो के लिए सुखद बात है़ सोयाबीन का यहीं बाजार मूल्य स्थायी रुप से रहे इसके लिए वाशिम जिले के किसानों ने सीधे सोयाबीन के दानों से श्रीगणेश की प्रतिमा बनाकर अपने प्रिय भगवान गणेशजी की ओर प्रार्थना की है़ पश्चिम वरहाड में कपास के बाद नगद फसल के लिए जिले में किसानों का रुझान सोयाबिन की ओर बढा है. सबसे अधिक जिले के किसान सोयाबीन का उत्पादन लेते है़. कम अधिक बारिश और मध्यम जमीन रहने के बाद भी जिले में सोयाबीन का राहत पूर्ण उत्पादन होता है़.
इसलिए इस सोयाबीन फसल ने यहां के किसानों की आर्थिक समस्या सुलझाने के लिए मदद होती है.आंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग रहनेवाले इस सोयाबीन का पिछले मौसम में अपेक्षीत उत्पन्न हाथ में नहीं आने से अथवा अचानक मांग बढ़ने से अब सोयाबीन के बाजार मूल्य में रिकॉर्ड पहल करते हुए 10 हजार रु. क्विंटल का भाव पार कर दिया है.
सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए यह खुशी की बात साबित हो रही है़ सोयाबीन के यह बाजार भाव कायम रहें इसलिए वाशिम जिले के कामरगांव निवासी किसानों ने सोयाबीन के दानों से बाप्पा की आकर्षक प्रतिमा निर्माण करते हुए इस में किसी भी प्रकार के कृत्रिम रंगों या सामुग्री का उपयोग न करते हुए केवल दानों से ही प्रतिमा बनायी गयी है.
यह गणेशजी सभी गणेश भक्तों का विशेष आकर्षण का केंद्र बन गयी है़ विश्व में प्रकोप मचाने वाले कोरोना संकट को दूर करने के लिए इस विघ्नहर्ता से विघ्नों के हरण करने के साथ ही सभी को सुख, समृध्दि प्रदान करने का विश्वास गणेश भक्तों की ओर से व्यक्त किया जा रहा है.
प्रति वर्ष जिले में बढ़ता जा रहा सोयाबीन की बुआई का ग्राफ
जिले में पिछले कुछ वर्षों से किसानों का रुझान नगद मिलनेवाली सोयाबीन की फसल की ओर बढ़ गया है़ जिले में इस बार खरिफ की बुआई का क्षेत्र 4 लाख 650 हेक्टेयर नियोजित था़ इस में इस वर्ष भी सबसे अधिक यानी करीब 3 लाख हेक्टेयर पर सोयाबीन की बुआई हुई है़.
इस वर्ष की शुरूआत में सोयाबीन के दाम कम थे़ लेकिन किसानों को अपनी आर्थिक समस्या हल करने के लिए सोयाबीन को जो दाम मिले उस दाम में तत्काल सोयाबीन को बेचना पड़ा था. लेकिन जब सोयाबीन के दाम दस हजार रु. प्रति क्विंटल के पार कर गए तो किसानों के पास कम सोयाबीन बचा हुआ था़ जिस से इस मूल्य वृध्दि के कारण भी कम किसानों का इस बढे हुए मूल्य का लाभ मिला है़.