यवतमाल

Published: Oct 31, 2020 01:11 PM IST

यवतमाल'चातारी' का ज्ञान सात समुद्रों तक पहुंचा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

उमरखेड. किसान परिवार के अजित उर्फ बालू बचपन से संशोधनवादी थे. स्थिति से जूझते हुए, उन्हें पुणे विश्वविद्यालय में शिक्षक के रूप में नौकरी मिल गई. यहीं पर उनका संशोधन भी शुरू हुआ. संशोधन की यह प्रवृत्ति उन्हें सात समंदर पार ले गई. एक अलग व्यक्तित्व डा. अजित धात्रक यह स्व. रामराव धात्रक उमरखेड तहसील के चातारी निवासी के जेष्ठ पुत्र है.

वे पुणे विश्विवद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में ‘एसोसिएट प्रोफेसर बाय रिसर्च’ के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता पद‍्मभूषण बाबा आमटे के आनंद निकेतन कालेज आनंदवन में भी सेवा की है. उन्होंने 16 अंतर्राष्ट्रीय शोध प्रबंध प्रकाशित किए हैं. हाल ही में, उनके शोध पत्रिका, एनसाइक्लोपीडिया आफ केमिस्ट्री वायली इंटरनेशनल में दो शोध प्रबंध प्रकाशित हुए. इसके अलावा आईएएस अकादमी के रेसोनन्स इस संशोधन पत्रिका में दो शोध प्रबंध प्रकाशित किए है. डा. अजित धात्रक  के इनसाइक्लोपीडिया इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित निबंध को प्रकाशक जान विली एंड सन्स द्वारा रॉयल्टी से सम्मानित किया गया है.