यवतमाल

Published: Mar 19, 2024 01:54 AM IST

Farmer Suicideअन्नदाता के लिए एक दिन उपवास, 38 साल पहले हुई थी पहली किसान आत्महत्या

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

यवतमाल. देश में पहली किसान आत्महत्या की घटना 19 मार्च 1986 को हुई थीं. महागांव तहसील के चिलगव्हान निवासी साहेबराव करपे ने अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर ईहलीला समाप्त कर ली थीं. इस घटना को आज 38 वर्ष पूरे हो चुके है. बावजूद इसके किसानों की आत्महत्याएं नहीं थमी है. इसीलिए किसानों के प्रति संवेदना जताने के लिए राज्य में 19 मार्च को किसान पुत्रों द्वारा एक दिन उपवास रखा जाता है. इसी कड़ी में आजाद मैदान पर सुबह 11 से 5 बजे तक उपवास कर किसान विरोधी प्रणाली का निषेध जताया जाएगा. 

कृषि प्रधान देश में किसानों के हितों की हमेशा अनदेखी की गई है. साहेबराव करपे पाटिल को इसकी जानकारी थी. उनके स्वाभिमान को सबसे बड़ा झटका उस समय लगा जब उन्हें आर्थिक तंगी के कारण पोला त्योहारों के दौरान बैल के लिए सजाए गए आभूषण को बेचना पड़ा. उस समय किसानों को कई संकटों से गुजरना पड़ा, जैसे कृषि उपज के लिए कोई गारंटी नहीं, बिजली बिल में वृद्धि, राष्ट्रीयकृत बैंकों और भूविकास बैंक द्वारा जबरन वसूली और निजी साहूकारों द्वारा उत्पीड़न मेहनतकश और स्वाभिमानी किसान के लिए मानो जीने के सारे रास्ते बंद हो गये.

उसी अवसाद से बाहर आकर उन्होंने वर्धा के दत्तपुर स्थित आश्रम में पूरी रात कीर्तन कर समाज प्रबोधन का पवित्र कार्य किया. जिले में देर रात उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को कृषि व्यवस्था में व्याप्त खामियों के बारे में बताया. इसके बाद उन्होंने अपने बच्चों सहित आत्महत्या कर ली.

सभी दल आंदोलन में हो शामिल

उपवास आंदोलन की अवधारणा 19 मार्च 2017 को सामने आई और एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया. इस आंदोलन में किसी पार्टी के बैनर या संगठन का कोई जिक्र नहीं है, इस आंदोलन में कोई भी हिस्सा ले सकता है, इस आंदोलन के किसी नेतृत्वकर्ता या प्रभावशाली व्यक्ति के तौर पर नहीं, सिर्फ किसानों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की गई है. इसलिए सभी दलों और समाज के सभी स्तरों को किसानों के हितों के लिए इस आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किसान नेता मनीष जाधव ने किया है.