यवतमाल

Published: Nov 27, 2020 11:26 PM IST

यवतमालकामगार संगठना व किसान संगठना संयुक्त कृति समिति का एक दिवसीय धरना आंदोलन

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

उमरखेड. सरकार की संवैधानिक विरोध नीतियों के खिलाफ तहसील में विभिन्न सरकारी और अर्धसरकारी कामगार संगठनाओं ने मिलकर तहसील कार्यालय के सामने गुरुवार को एक दिवसीय धरना आंदोलन किया. 

इस धरने में तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए, स्वामीनाथम आयोग के फार्मूले के अनुसार कृषि माल को न्यूनतम मूल्य देने के लिए कानूनी निर्णय लिया जाना चाहिए, श्रम विरोधी श्रम बिल को तुरंत वापस ले, पिछले सभी श्रम कानूनों को बहाल करने, रेलवे, बीपीसीएल, बंदरगाहों, कोयला और रक्षा क्षेत्रों, इवाई अड्डों, बैंकों, बीमा कंपनियों का निजीकरण को रोकें, नई पेंशन योजनाओं को समाप्त करें, गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करें, अनुबंध के कर्मचारियों को नियमित आधार पर बनाए रखें, समान काम के लिए समान वेतन का भुगतान करें, रोजगार की गारंटी का विस्तार कर साल में कम से कम 200 दिन काम व 600 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से देने, राशन प्रणाली को मजबूत करने, सभी असंगठित श्रमिकों के लिए पंजीकरण और स्वास्थ्य बीमा ओर 3 हजार मासिक पेंशन शुरू करें आदि विविध मांगों को लेकर आज तहसील के विविध कामगार संगठना व किसान संगठना कृति समिति की ओर से तहसील कार्यालय के सामने धरना आंदोलन किया गया. पश्चात तहसीलदार को विविध मांगों का ज्ञापन सौंपा गया.

इस आंदोलन में महाराष्ट्र राज्य सभी श्रमिक महासंघ के सचिव कॉ. वी. एम. पतंगराव, उपाध्यक्ष कॉ. पी. के. मुडे, स्वाभीमानी के जिलाध्यक्ष अनिल की. माने, देवानंद मोरे, बालाजी चं .वानखेडे, बलवंतराव चव्हाण, डा. गणेश घोडेकर, संतोष जाधव, बालकृष्ण देवसरकर, सुर्यकांत पंडीत, तातेराव चव्हाण, सुरेश मोरे, एसटी कामगार संगठन के विनोद शिंदे, चिमन नरवाडे, सुर्यकांत थोरात, राजेश बोंडगे, शेर अली, सुभाष राठोड, माधव कनवाले, माणिक तामसकर आदि उपस्थिति थे.