यवतमाल

Published: Mar 28, 2021 02:14 AM IST

प्रकोपफसलों पर बीमारी का प्रकोप, दहिया, भूरी बीमारी से पीली हो गई फसल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मारेगांव. इस वर्ष रबी सहित गर्मियों की फसलों को बड़ी संख्या में लगाया गया था. ग्रीष्मकालीन मूंग को छोटी अवधि की फसल के रूप में पसंद किया जाता है. वर्तमान में मूंगफली, गर्मियों में हरे चने और अन्य फसलें शिवरा में पनप रही है, हालांकि लगातार बादल छाए रहने से फसलों पर असर पड़ रहा है. इससे फसल की पैदावार कम हुई है.

किसानों का भारी नुकसान

मारेगांव तहसील में मुख्य रूप से कपास, सोयाबीन और अरहर की फसल खरीफ में उगाई जाती है, हालांकि इस वर्ष कपास पर बोलेवॉर्म के प्रकोप के कारण कपास की उपज में गिरावट आई. फसल के समय बारिश के कारण सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई. इससे किसानों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, इसलिए चार पैसे कमाने की उम्मीद में किसानों ने खरीफ के दौरान चना, गेहूं, ग्रीष्मकालीन मूंगफली, हरा चना और अन्य फसलें लगाईं.

मारेगांव, नवरगांव, वेगांव ,पिसगांव, किन्हाला, मार्डी, कुंभा, चोपण, सिंधी,देवाला आदि क्षेत्रों में फसलें फल-फूल रही हैं. किसानों ने बुवाई, खेती, निराई, गुड़ाई, छिड़काव पर खर्च किया. मगर लगातार बादल छाए रहने से उमस और शुष्क मौसम बना है. हवा में नमी बढ़ रही है.

कीटनाशकों का भी असर नहीं

वर्तमान में मूंग की फसल फूल अवस्था में है. परिणामस्वरूप, फसलों पर भुरी, करपा, दहिया जैसी विभिन्न बीमारियां देखी जाती हैं. इससे फसल की पत्तियां पीली हो जाती हैं और झड़ जाती हैं. बीमारी पर नियंत्रण के लिए किसान कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन बीमारी नियंत्रण में नहीं है. खरीफ का मौसम बर्बाद हो गया. लेकिन रबी की गर्मियों की फसल से चार पैसे कमाने की उम्मीद के साथ मेहनत पर पानी फिर गया है.