यवतमाल

Published: Jun 27, 2021 07:46 PM IST

Employmentजिले के लोगों को मिलेगा रोजगार, आस्ट्रेलिया की कम्पनी नेर में कार्यान्वित करेगी जैव ईंधन परियोजना

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

यवतमाल. विदर्भ का यवतमाल जिला अपने पिछड़ेपन की पहचान मिटा देगा. गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया की वितारा एनर्जी कंपनी ने यवतमाल के नेर में 8,500 करोड़ रुपए के निवेश करार पर हस्ताक्षर किए है. इस कंपनी की ओर से साकार हो रहे प्रकल्प से जिले के 2 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.

1 वर्ष के भीतर वर्ष 2022 में प्रकल्प कार्यान्वित करने का लक्ष्य है. जिले में बड़े उद्योगों की कमी है. जिले में वर्तमान में रेमंड को छोड़ दिया जाए तो अन्य कोई भी बड़ा प्रकल्प नहीं है. इस उद्योग के चलते 2500 बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध हुआ है. जिले में जिनिंग प्रेसिंग में बेरोजगारों को काम मिलता हैं, किंतु यह रोजगार सत्र तक ही सीमित रहता है. जिससे जिले में बेरोजगारों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं. 

रोजगार की तलाश में बड़े शहरों में करते है पलायन 

परिणामस्वरूप कई लोग नौकरी की तलाश में मुंबई-पुणे जाते हैं. जिले में शुरू होने जा रहा ऑस्ट्रेलिया की वितारा एनर्जी कंपनी के प्रकल्प से जिलावासियों को बड़ी राहत मिलने का अनुमान है. वितारा एनर्जी कंपनी न्यूनतम कार्बन तकनीकी का इस्तेमाल कर प्राकृतिक वायु निर्माण करने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्यातनाम कंपनी है. यह कंपनी यवतमाल के नेर में प्रोजेक्ट शुरू करेगी. प्रोजेक्ट के समझौते पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.

जिले में कंपनी आने वाले समय में जैव ईंधन उत्पाद के साथ हाइड्रोजन रिनेवेबल डीजल, एविएशन फ्युअल, बायोएनसीजी तथा इथेनॉल का उत्पादन करेगी. पर्यावरणपूरक तथा सभी के लिए लाभदायक साबित होने का वादा इस कंपनी ने किया है, इस कंपनी द्वारा नेर में साढ़े 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने का इरादा है. इस प्रकल्प के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो जाएंगे. 

पहले से है उद्योगों का अभाव

रोजगार की दृष्टि से नेर में कार्यान्वित किए जाने वाले वितारा एनर्जी कंपनी का प्रकल्प अहम है. खेती की दुरावस्था, उद्योगों की कमी तथा कोविड महामारी के चलते पैदा हुए संकट में शुरू हो रहे इस नए प्रकल्प से परिसर के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में सहायक साबित होगा. वैसे भी जिले में हमेशा ही बड़े उद्योगों का अभाव रहा है.