यवतमाल

Published: Feb 12, 2022 11:26 PM IST

Construction Workनिर्माणकार्यो के घटीया स्तर, आर्थिक सांठगांठ में घीरा हुआ है सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

यवतमाल: राज्य सरकार के लोकनिर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता मुकुंद कचरे वर्तमान सत्ताधारी जनप्रतिनिधीयों की बजाय विपक्षी और केंद्र सरकार के जनप्रतिनिधीयों के संपर्कवाले भाजपा विधायकों के साथ अधिक संपर्क में है। जिससे जिले में विपक्षी विधायकों के निर्देशों और उनके मनमर्जी के ठेकेदारों को ई टेंडर के तहत जुगाड कर अधिक्षक अभियंता कार्यालय द्वारा कामों के ठेकों का आवंटन किया जा रहा है। 

इसके पिछे विपक्षी जनप्रतिनिधी और इस कार्यालय के अधिकारीयों की मिलीभगत है, कार्यकारी अभियंता लगातार इन विधायकों के घर में उठने बैठने से लेकर उनके संपर्क में रहकर काम निबटाते है। इसी के चलते सत्ता में होने के बावजुद सत्ताधारी दल के विधायकों के ईलाकों से जुडे विकास के काम नही हो पा रहे है,जिससे जनप्रतिनिधी और अधिकारी स्तर पर प्रशासन में अनबन जारी है। इन सभी मामलों के चलते केंद्र सरकार से सडक निर्माण और ठेकेदारों के बिल अदा करने मिली करोडों की निधी वापस होने की एैसी चर्चाएं राजनितीक और प्रशासनिक स्तर पर की जा रही है।

बताया जाता है की लोकनिर्माण विभाग को केंद्रीय सडक निधी और पीएम ग्रामीण सडक विभाग को केंद्र से मिली राशि में ठेकेदारों को मिलनेवाले करोडों रुपयों के बील अदा करने के पहले मनमर्जी के ठेकेदारों द्वारा अधिकारीयों और विधायकों को मिलनेवाले कमिशन को लेकर अनबन जारी है। इसमें विधायक-ठेकेदार के और कार्यकारी अधिक्षक की, इस आर्थिक सांठगांठ में आर्थिक विवाद बढने के बाद शिकायतों के बाद ही इस सप्ताह केंद्र सरकार से सडक निर्माण के लिए मिली और ठेकेदारों को बील अदा करने के लिए भेजी गयी करोडों रुपयों की निधि वापस लौटा दी गयी,इसके चलते लोकनिर्माण विभाग और प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना के विभाग में हडकम्प मचा हुआ है।

मार्च एंडींग तक विभीन्न योजनाओं के तहत मिली राशि से मंजुर हुए काम पुरे करने और ठेकेदारों के बीलों समेत सभी आर्थिक मामलें निबटाना जरुरी होता है, लेकिन लोकनिर्माण विभाग कार्यकारी अभियंता और प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना के तहत केंद्र से मिली राशि वापस चले जाने से इन विभागों की लापरवाही उजागर होती दिखी, इसी इसी के चलते शुक्रवार 11 फरवरी को जिलाधिकारी अमोल येडगे ने अधिकारीयों की बैठक लेकर मार्च एंडींग तक सभी राशि खर्च करने और विकास कामों के लिए मिली सरकार की राशि वापस ना लौटें, इसके लिए सतर्कता बरतने के निर्देश दिए है।

बिते एक वर्ष से अधिक्षक अभियंता ने यहां का काम संभाला तब से ठेकों से लेकर सभी प्रशासनिक कामों को विपक्षी विधायकों और जनप्रतिनिधीयों के निर्देशों पर ही अंजाम दे रहे है,यवतमाल जिले में अनेक तहसीलों में केंद्र की सडक योजनाओं से करोडों रुपयों के काम निबटाएं गए। 

 इस दौरान विपक्षी विधायकों के मनमर्जी के ठेकेदारों को कामों का आवंटन करते हुए अधिक्षक अभियंता ने पुरा ध्यान रखा, तो दुसरी ओर जिले में सडक निर्माण के दौरान घटिया कामों की शिकायतें और सुबुत होने के बावजुद लोकनिर्माण विभाग द्वारा संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ ठोस कारवाई नही की,इसके पिछे ठेकेदार, जनप्रतिनिधी और इस विभाग के अधिकारी इस तरह आर्थिक सांठगांठ की श्रुंखला एक बडी वजह मानी जा रही है।

बाकडा मामला भी संदेह में 

इसके अलावा सत्ताधारी दलों से जुडे ठेकेदार कों यवतमाल शहर में सार्वजनिक स्थानों पर सिमेंट के टेबल लगाने का ठेका दिया गया, इसे स्थानिय भाषा में बाकडा कहा जाता है। नगरपालिका द्वारा शहर के नगरसेवकों के प्रभागों में सार्वजनिक स्थानों पर यह सिमेंट टेबल लगाने प्रस्ताव मंजुर किया था, इसके बाद सरकारी निधी से सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्वारा इस काम को पुरा करने टेंडर निकाला गया। सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसमें भी कार्यकारी अभियंता कार्यालय की ठेकेदार से आर्थिक सांठगांठ होने की चर्चा है।

क्योंकी शहर में अनेक स्थानों पर नगरसेवकों को मिलनेवाले सिमेंट के टेबल या तो दिए नही गए, या फिर इस मामले को मॅनेज कर दिया गया। इस पुरे मामलें में ना ही नगरपालिका प्रशासन ने ध्यान दिया, और ना ही कार्यकारी अधिक्षक कार्यालय ने बडी तादाद में टेंडर के तहत दिए गए गये यह बाकडे शहर में किन स्थानों पर लगे या नही लगे, इसकी कोई जांच पडताल नही की गयी है। इस मामले की जांच करने पर प्रशासनिक अधिकारी ठेकेदार और जनप्रतिनिधीयों के बीच किस तरह की सांठगांठ हुई, यह उजागर होकर भ्रष्टाचार और घपलेबाजी उजागर हो सकती है।

लोकनिर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता कार्यालय के लापरवाह और मनमानी कामकाज का इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है की, स्थानिय उमरसरा क्षेत्र में एक ही सडक निर्माण के लिए अलग अलग बिल अदा करने का मामला शिकायत के बाद विवादों में आया, जिससे कुछ समय पुर्व ही लोकनिर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता कार्यालय को इस बारे में सार्वजनिक तौर पर सफाई देनी पडी,लेकिन फिर भी इस पर संदेह बना हुआ है।

इसके अलावा शहर से सटे बायपास और लंबी दुरी के रास्तों को ठेकेदारों द्वारा निबटाते समय कामों के दर्जे और समयावधी समेत ईस्टीमेट के मुताबिक यह काम हो रहे या नही, इस ओर उपरोक्त विभाग के अधिकारी आर्थिक वजहों से जानबुझकर अनदेखी कर रहे है, एैसी भी चर्चा विभाग में जारी है। इन सभी मामलों को देखते हुए इस विभाग के लचर कामकाज का अनुमान लगाया जा सकता है।