यवतमाल

Published: Nov 07, 2021 11:01 PM IST

Agitation सोयाबिन, कपास उत्पादक किसानों का आंदोलन भडकाएंगे- रविकांत तुपकर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

यवतमाल. अतिवृष्टी के कारण कपास, सोयाबीन उत्पादक किसान दिक्कतों में घीर गया है.एैसी हालत में केंद्र सरकार ने मुर्गीयों को खाद्य आपूर्ति के नाम पर सोया पेंड का आयात किया,जिससे सोयाबीन के दाम गिर गए.केंद्र सरकार मूर्गीयों को जिंदा रख किसानों कों मारने का धंदा बंद करें, एैसी आलोचना स्वाभिमान शेतकरी संगठना के नेता रविकांत तुपकर ने की.विशेषकर अब न्याय मांगने के लिए सोयाबीन, कपास उत्पादक किसानों का आंदोलन भडकाया जाएंगा, एैसी चेतावणी उन्होने दी है.

वे आज 7 नवंबर को यवतमाल में आयोजित पत्रपरिषद में बोल रहे थे.उन्होने कहा की विदर्भ और मराठवाडा में उत्पादक किसानों का कोई वाली नही रहा है, जीस तरीके से गन्ना उत्पादक किसान और उन ईलाकों के जनप्रतिनिधीयों अपना पक्ष रखकर न्याय हासिल करते है, उसी तर्ज पर अब सोयाबीन और कपास उत्पादक किसानों को एकजुट कर उनके लिए लढाई शुरु करने का प्रयास शुरु हो चुका है.

उन्होने बताया की संगठना ने हाल ही में बुलढाणा में मोर्चा निकालकर इसकी शुरुआत कर दी है, अब यवतमाल, अमरावती, अकोला, अकोट, परभणी, हिंगोली, नांदेड इन स्थानों पर बैठक लेकर मोर्चा बांधा जा रहा है.वाशिम में आखिरी बैठक के बाद 12 नवंबर से इस किसान आंदोलन की रुपरेखा घोषित होंगी,एैसी जानकारी तुपकर ने इस समय दी.

उन्होने कहा की किसान के बेटे किसी नेता के पिछे रहकर जिंदाबाद मुर्दाबाद नारे देने की बजाय अपने पिता के साथ मजबुती से खडे रहें. वर्तमान में सोयाबीन को प्रति एकड 25 हजार रुपए खर्च आता है लेकिन प्रति एकड चार से पांच क्वींटल उत्पादन हो रहा है, जिससे फसलबिमा कंपनी और सरकार तात्काल किसानों कों नुकसान मुआवजा दें, एैसी मांग करनते हुए उन्होने कहा की, राज्य में 45 लाख हेक्टेयर पर सोयाबीन की बुआई होती है. जबकी 12 लाख पर गन्ना बोया जाता है, इसके बावजुद सोयाबीन लेनेवाले किसान लगातार नुकसान सह रहे है, जिससे अब सरकार के खिलाफ जनआंदोलन खडा किया जाएंगा.

केन्द्र सरकारने 12 लाख मेट्रीक टन सोया पेंड आयात किया है.पामतेल उसी तरह सोया तेल पर आयात शुल्क शुन्य कर दिया गया. इसके स्टॉक और खरीदी पर मर्यादा तय की गयी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय आयात निर्यात पर कोई मर्यादा न लगाकर अंबानी और अदानी जैसो को राह आसान कर दी गयी है.

धनिक व्यवसायिकों को लाभ देने ही सोयाबीन किंमत गिराने का षडयंत्र रचने से सोयाबीन लेनेवाले किसानों की आत्महत्या बढने की बात रविकांत तुपकर ने कही, साथ ही कहा की सोयाबीन का वर्तमान में दाम चार हजार पर आ चुका है, जिससे किसान दिक्कतों में है, एैसे में बचे हुए 4 लाख सोयाबीन पेंड की आयात सरकार रोक दें, अन्यथा किसानों के रोष का सामना करना पडेंगा, एैसा चेतावणी उन्होने दी.

विधायकों के दुबई दौरे पर साधा निशाना

पत्रपरिषद के दौरान किसान नेता तुपकर ने कहा की विदर्भ के जनप्रतिनिधी किसानों कों हताश हालत में छोडकर दुबई के दौरे कर रहे है.अप्रत्यक्ष तौर पर उन्होने जिले के दो विधायकों के दुबई टूर की आलोचना करते हुए कहा की,सोयाबीन, कपास का प्रचंड नुकसान हुआ है, सरकार ने मदद की घोषणा की, लेकिन वह अभी नही मिली है,फसल बिमा कंपनीयों से मलाई खाई जा रही है.

इन कंपनीयों ने इस वर्ष 5 हजार 800 करोड जमा कर केवल 800 करोड नुकसान मुआवजा दिया है, विदर्भ के पांच जिलों में केवल 800 किसानों ने नौं माह में आत्महत्या कर ली, जिससे अब खामोश नही बैठेंगे, और किसान आंदोलन खडा किया जाएंगा, एैसी बात कही.पत्रपरिषद में उनके साथ स्वाभिमान किसान संगठन के जिलाध्यक्ष मनिष जाधव, संतोष अरसोड,विष्णु लांडगे मौजुद थे.