यवतमाल

Published: May 04, 2021 11:33 PM IST

जलसंकटसप्ताहभर बाद की जा रही है शहर में आपूर्ति, निलोणा बांध में 50 फीसदी जल शेष

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

यवतमाल. शहर को जलापूर्ति करनेवाले निलोणा बांध में 50 फीसदी व चापडोह बांध में 57 फीसदी जल उपलब्ध है. यहां से शहर को पानी की आपूर्ति की जाती है. मजीप्रा से अनियमित जलापूर्ति के कई कारण बताए जा रहे हैं. शहर में पानी की आपूर्ति करने वाले निलोणा बांध में वर्तमान में 50 प्रतिशत पानी शेष है.

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष मानसून औसतन ढह ​​गया था. शहर में पानी की आपूर्ति करने वाले निलोना और चापडोह बांध भी ओवरफ्लो हो गए थे. फिर भी गर्मी की दाहकता से हर जगह पानी की कमी का कारण बनती है. इस साल भी उन्हें फरवरी से ही गर्मी का एहसास हो रहा है. जिससे शहर में ग्राहकों को अनियमित जलापूर्ति की जा रही है.

अनियमित जलापूर्ति से लोग परेशान

अक्सर तकनीकी विफलता का कारण बताते हुए प्राधिकरण द्वारा समय बर्बाद किया जाता है. गर्मी बढ़ने के कारण पानी की मांग में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है. पिछले 8-10 दिनों से शहर में अनियमित जलापूर्ति की कई शिकायतें मिल रही हैं. कुछ क्षेत्रों में नागरिकों को पीने के पानी परेशान होना पड़ता है. प्राधिकरण द्वारा नागरिकों की शिकायतों का समाधान नहीं किया जाता. मजीप्रा का दावा है कि शहर में अभी 7 दिनों के बाद जलापूर्ति की जा रही है.

पानी की कमी से जूझ रहे हैं नागरिक

शहर में पानी की आपूर्ति करने वाले निलोना और चपडोह बांध में प्रचुर मात्रा में पानी है. शहर के नागरिकों को पानी के लिए 7 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. उल्लेखनीय है कि वडगांव रोड इलाके में 10 दिनों तक पानी की आपूर्ति सुचारू नहीं की गई थी.

शहर के विभिन्न हिस्सों में 9 पानी के टंकिया हैं. अमृत ​​योजना के माध्यम से 16 नई पानी की टंकियों का निर्माण किया गया है. उनमें से एक पानी की टंकी से कुछ क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जा रही है.

तकनीकी कारणों से आपूर्ति में विलंब

शहर के विभिन्न हिस्सों में अमृत योजना पाइपलाइनों का परीक्षण चल रहा है. शहर के कुछ हिस्सों में खुदाई चल रही है. पानी की आपूर्ति में देरी हो रही है. शहर को पानी की आपूर्ति करता है उस बाध में प्रचुर मात्रा में भंडार है. निलोना डैम से पानी की आपूर्ति जून के अंत तक और चापडोह डैम से अक्टूबर तक बनाए रखी जा सकती है.

-राहुल जाधव, कार्यकारी अभियंता, मजीप्रा. यवतमाल.