यवतमाल

Published: Jan 02, 2022 11:21 PM IST

Yavatmal Newsकार्यकर्ता अधिकारी बनने का होना चाहिए लक्ष्य- डॉ. अविनाश धर्माधिकारी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

वणी. ‘ईमानदारी से पर्याप्त धन, स्थायी सुरक्षा, सम्मान, कार्य शक्ति या अधिकार सभी चीजें हैं जो आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की सफलता के साथ स्वचालित रूप से प्राप्त होंगी लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको देश की सेवा करने का अवसर मिलेगा. स्वच्छ और कुशल जीवन जीना, ऐसा करना खूबसूरती से काम करो इस क्षेत्र में आने वाले हर व्यक्ति का यही लक्ष्य होना चाहिए.’ ऐसे प्रेरक विचार सनदी अधिकारी तथा चाणक्य परिवार के सर्वेसर्वा डॉ. अविनाश धर्माधिकारी ने व्यक्त किया. 

वे लोकमान्य तिलक कॉलेज, वणी के छात्रों को सिनर्जी नामक आभासी तरीके से ‘प्रतियोगी परीक्षा और करियर के अवसर’ विषय पर मार्गदर्शन कर रहे थे. इस अवसर पर शिक्षण प्रसारक मंडल के अध्यक्ष नरेंद्र नगरवाला उपस्थित थे.

कार्यक्रम का प्रास्ताविक करते हुए प्राचार्य डॉ. प्रसाद खानझोडे को उम्मीद थी कि ऐसे छात्र हितैषी व्यक्तित्व के मार्गदर्शन में उनके कॉलेज से एक सफल चार्टर्ड अधिकारी निकलेगा.

सभी को नमस्कार, मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं. डॉ. धर्माधिकारी ने कहा कि लोकमान्य तिलक की कहानी के माध्यम से सभी करियर अपने-अपने क्षेत्रों में श्रेष्ठ हैं और नई तकनीक द्वारा हमें प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के लिए आभार व्यक्त किया.

यह रेखांकित करते हुए कि अब किसी भी क्षेत्र में प्रतियोगी परीक्षा का कोई विकल्प नहीं है, प्राथमिक परीक्षा में आपका ज्ञान, मुख्य परीक्षा में आपके ज्ञान की महारत और आपके व्यक्तित्व की परीक्षा मौखिक परीक्षा में कैसे की जाती है, यह बताकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कैसे करें? यहां से इंटरव्यू में कैसे व्यवहार करें? आदि कई उदाहरण स्पष्ट किए.

यह उल्लेखनीय है कि इस बहुत ही व्यावहारिक लेकिन आसान, सुलभ, प्रेमपूर्ण और गर्मजोशी भरे संवाद ने उपस्थिति के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. अपने अध्यक्षीय भाषण में नरेन्द्र नगरवाला ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इतनी बड़ी संख्या में व्यक्तित्व प्रौद्योगिकी के माध्यम से इतने छोटे और दूरस्थ महाविद्यालय में आ सके और छात्रों से अपने काम से प्रेरणा लेने की अपील की.

कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी विकास मंडल के समन्वयक डॉ. अभिजीत अने ने किया. आभार महादेव भुजाडे ने माना. कार्यक्रम की सफलता के लिए डॉ. गुलशन कुथे, डॉ. परेश पटेल, पंकज सोनटक्के ने विशेष प्रयास किया.