यवतमाल

Published: Jul 11, 2021 11:15 PM IST

Tiger Panicहमले की घटनाए बढी; वन विभाग की ओर से कोई समाधान नहीं, बाघ पर नजर रखने के लिए तीन टीम का गठन

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

यवतमाल. झरी तहसील क्षेत्र में पिछले कई सालों से लगातार बाघों के हमले हो रहे हैं. इसमें कई मासूमों की जान जा रही है. बावजूद इसके क्षेत्र में खुलेआम घूम रहे बाघों पर नियंत्रण के लिए वन विभाग के वरिष्ठ स्तर पर कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है. इसलिए नागरिकों में गुस्सा है कि इस क्षेत्र में बाघों के हमले हो रहे हैं. हमले के बाद वन विभाग के अधिकारी खुद को आश्वस्त महसूस कर रहे हैं. लेकिन, उपाय नहीं किए जा रहे हैं.

मांडवी शिवरा में पांच बाघ हैं. बाघ अब तक चार लोगों की जानलेवा हमला कर चुका है. सैकड़ों पालतू जानवरों को शिकार किया है. दो साल पहले बिजली नाम बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया था. इसमें दो नर और दो मादा हैं. वन विभाग ने दो नरों और रंगीला को नामित किया है. वन विभाग का कहना है कि रंगीला नाम का शावक आक्रामक होता है.

जैसे-जैसे शावक बड़े होते गए, मांडवी पिवरडोल, कारेगाव शिवरा के किसान इन बाघों से पीड़ित होने लगे. अब तक चार गांवों के साथ ही पाटनबोरी शिवरा किसान भी इन बाघों से पीड़ित होने लगे. ये बाघ अब तक सैकड़ों पालतू जानवरों को मार चुके हैं. साथ ही 11 फरवरी को मांडवी में एक बाघ ने इंद्रदेव गंगाराम किनके और उनके साथियों पर हमला कर दिया. उन्होंने पांच बाघों के रहते मचान पर रात बिताई.

सुधाकर मेश्राम और उनके सहयोगी रामकृष्ण पर भी करीब एक महीने पहले एक बाघ ने हमला किया था. दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए. केवल भाग्य जिसमें कोई जिवित हानी नहीं हुई. बल प्रयोग कर इन दोनों की जान बचाई गई. घटना ताजी होने पर अविनाश लेनगुरे पर शुक्रवार रात साढ़े नौ बजे हमला किया गया. अब तक मांडवी, कारेगांव, पिवरडोल के ग्रामीणों ने वन विभाग को लिखित ज्ञापन दिया है. 

बाघ की हरकतों पर रखें नजर

शुक्रवार की रात एक बाघ ने अविनाश लेनगुरे नाम के युवक पर हमला कर जान से मार दिया. हमलावर बाघ अभी भी इलाके में घूम रहा है. घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए वन विभाग ने बाघों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तीन टीमों का गठन किया है.

पिछले वर्ष पांढरकवड़ा वनक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 27 गांवों के लिए श्यामाप्रसाद मुखर्जी योजना के माध्यम से अनुदान के प्रस्ताव भेजे गए थे. इसकी स्वीकृति से प्रत्येक गांव के लिए 25 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई है. मानव-बाघ संघर्ष को रोकने के लिए जल्द ही इस अनुदान से काम शुरू होगा.

किरण जगताप, उपवनसंरक्षक पांढरकवड़ा