यवतमाल

Published: May 05, 2022 10:49 PM IST

Movementदूसरे दिन भी बेमियादी अनशन पर डटे रहे शिक्षक, माध्यमिक शिक्षणाधिकारी ने दी केवल भेंट; कोई हल नहीं निकला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

यवतमाल. स्थानीय माध्यमिक शिक्षणाधिकारी कार्यालय के मैदान पर बुधवार की दोपहर से तीन शिक्षकों ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए बेमियादी अनशन आरंभ कर दिया है. अनशनकारी शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं होने से दूसरे दिन भी तीनों शिक्षकों ने विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों के साथ मिलकर अनशन को जारी रखा.

पता चला है कि बुधवार की देर शाम माध्यमिक शिक्षणाधिकारी ने शिक्षकों के अनशन मंडप को भेंट देकर अनशन खत्म करने की बात कही थी. लेकिन तीनों शिक्षक अपनी मुख्य मांगों पर डटे रहे. जिसके चलते शिक्षणाधिकारी को वापस लौटना पडा. वहीं शुक्रवार 6 मई को विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के जनरल सेक्रेटरी अनशनकारी शिक्षकों की समस्याएं जानने के लिए अनशन मंडप को भेंट देने पहुंचेंगे. 

माध्यमिक शिक्षणाधिकारी कार्यालय के मैदान पर अनशन पर बैठे तीन शिक्षकों में से दो शिक्षकों को वरीयता का लाभ नहीं मिल पाया है. जिसके चलते उन्होंने अनशन प्रारंभ किया है. वणी तहसील के विवेकानंद विद्यालय नेरड में छात्रों को पढाने वाले सेवा वरीयता शिक्षक शाम बोढे ने विज्ञप्ति के जरिए बताया कि उनको सेवा वरीयता पात्र घोषित किया गया है. बावजूद इसके विद्यालय प्रबंधन की ओर से सेवा कनिष्ठ शिक्षक को मुख्याध्यापक पद की व्यक्तिगत मान्यता प्रदान की गई है.

इसलिए यह मान्यता रद्द की जाए. इसी तरह महिला सहायक शिक्षिका वंदना शंभरकर ने भी अन्याय को दूर करने के संबंध में आवाज उठायी है. सहायक शिक्षिका वंदना शंभरकर ने पत्र विज्ञप्ति के जरिए बतलाया है कि विगत 5 अप्रैल को माध्यमिक शिक्षाधिकारी ने उनकी सेवा वरीयता प्रवर्ग व क्रम दरकिनार करने को लेकर सुनवाई बुलाई थी. लेकिन सुनवाई पर कोई निर्णय न देते हुए सेवा कनिष्ठ शक्षक को मुख्याध्यापक पद की स्थायी  रूप से व्यक्तिगत मान्यता प्रदान की गई. इसके अलावा उनके वरिष्ठ वेतन श्रेणी का प्रस्ताव का हल भी नहीं निकाला गया है.

वणी तहसील के नेरड स्थित विवेकानंद विद्यालय से बीते 31 दिसंबर 2021 में मुख्याध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने वाले विजय गौरकार ने बताया कि उनके भविष्य निर्वाह निधि व अर्जित रजा नगदीकरण प्रस्ताव पर बार बार याचनाएं करने के बावजूद भी हस्ताक्षर करने से इंकार किया जा रहा है. जबकि उनके इन प्रस्तावों पर सचिव की उपस्थिति में सुनवाई भी ली गई. लेकिन अब तक सुनवाई के निर्णय की प्रतिलिपि उनको नहीं मिल पायी है.