यवतमाल

Published: Jun 21, 2021 01:35 AM IST

यवतमालवर्ष का सबसे बड़ा दिन आज, स्काई वॉच ग्रुप ने दी जानकारी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

यवतमाल. दिन और रात कम या ज्यादा होना हम अक्सर अनुभव करते है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पृथ्वी की अक्ष 23.5 डिग्री झुकी हुई है. परिणाम स्वरूप हम सूर्य के उत्तरायण व दक्षिणायन भी अनुभव कर सकते हैं. किसी भी वस्तु की गिरती हुई छाया का नियमित रूप से अवलोकन करने से हमें सूर्य के दक्षिणायन व उत्तरायण देखने में मदद मिल सकती है. पृथ्वी की ऋतुओं का निर्माण भी पृथ्वी की धुरी के झुकाव से होता है. आकाश में ब्रह्मांडीय और आयनिक वृत्तों के प्रतिच्छेदन के 2 काल्पनिक बिंदु हैं. इनमें से एक बिंदु पर सूर्य 21 मार्च को प्रवेश करता है (इसे वसंत अंत बिंदु कहा जाता है) और विपरीत बिंदु पर सूर्य 22 सितंबर को प्रवेश करता है (इसे शरद ऋतु अंत बिंदु कहा जाता है). दोनों दिनों में रात और दिन की अवधि समान होती है. अन्य दिनों में दिन और रात का समय कभी भी समान नहीं होता है.

21 मार्च के बाद सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है 

21 मार्च के बाद सूर्य उत्तर की ओर अपनी यात्रा शुरू करता है. इसे संक्रांति कहा जाता है. इस समय जैसे-जैसे सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है, दिन की अवधि बढ़ती जाती है और रात घटती जाती है. सूर्य की उत्तर दिशा की यात्रा 21 जून तक चलती है. इस दिन सूर्य भूमध्य रेखा के अधिकतम उत्तर में होता है. अवश्य ही इसलिए इस दिन की अवधि अधिक होती है. रात सबसे छोटी अवधि है. सूर्य के इस सबसे दूर उत्तरी बिंदु को समर सोल्स्टाइस कहा जाता है. इस समय सूर्य थोड़ा ठहरता हुआ प्रतीत होता है, फिर उसकी वापसी की यात्रा शुरू हो जाती है और यहीं से दिन कम होने लगता है और रात बढ़ जाती है. सोमवार को यवतमाल सूर्य 21 जून 2021 को शाम 5 बजे 40 मि. शाम 7.00 बजे अस्त हो जायेगा. इस दिन की अवधि 13 घंटे 20 मिनट रहेगी.

लोगों से अवलोकन करने का किया आह्वान

22 सितंबर को सूर्य पतझड़ के अंतिम बिंदु पर पहुंच जाता है. इस दिन दिन और रात एक जैसे होते हैं. 22 सितंबर के बाद सूर्य भूमध्य रेखा पर दक्षिण की ओर बढ़ना शुरू कर देता है दक्षिणायनास को प्रारंभ होता है. 22 दिसंबर को सूर्य अपने अधिकतम दक्षिण में है. इस बिंदु को विंटर सोल्स्टाइस कहा जाता है. जिस दिन सूर्य इस बिंदु पर होता है वह वर्ष का सबसे छोटा दिन होता है और रात सबसे लंबी होती है. स्काई वॉच ग्रुप यवतमाल के अध्यक्ष रवींद्र खराबे, प्रमोद जीरापुरे, राम जयस्वाल, प्रशांत भगत, देवेंद्र पांडे, उमेश शेंबाडे, भूषण ब्राम्हणे, जयंत कार्णिक, पूजा रेकलवार और मानसी फेंडर ने लोगों से इसके पीछे के विज्ञान को समझने की अपील की है.