यवतमाल

Published: Mar 27, 2022 10:00 PM IST

Passenger Shed30 सालों से यात्री शेड के लिए करना पड रहा इंतजार, जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

झरी जामणी. झरी जामणी में बीते 30 वर्षों से यात्री शेड नहीं रहने से यात्रियों को रास्ते किनारे दुकानों का सहारा लेना पडता है या फिर मंदिर में बैठकर बस की राह तकनी पड रही है. इसीलिए यहां पर यात्री शेड का निर्माण करने की मांग नागरिकों की ओर से की जा रही है.

झरी जामणी तहसील की स्थापना 15 अगस्त 1992 में हुई. लेकिन  30 साल बीतने के बावजूद भी यहां पर यात्री शेड का प्रबंध नहीं किया गया है. जिसके चलते यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड रहा है. यहां पर लोगों को खडे रहने के लिए साधारण शेड भी नहीं होने से सडक किनारे खडे रहकर दुकानों का सहारा लेना पड रहा है. सरकार की ओर से बस जहां वहां यात्री शेड का प्रावधान किया गया है.

झरी जामणी तहसील महत्वपूर्ण इलाके के रूप में पहचाना जाता है. लेकिन यहां पर यात्री शेड ही नहीं है.  झरी से पांढरकवडा, मुकुटबन व पाटण इन मार्गों पर यात्री वाहन धडल्ले से दौडते है. इन वाहनों से नागरिक बडे पैमाने पर सफर करते है. लेकिन यात्री शेड के अभाव में यात्रियों को रास्ते किनारे पेड की छांव या फिर मंदिरों का आश्रय लेना पड रहा है. इसीलिए यहां पर यात्री शेड की नितांत जरूरी है.

प्रहारियों ने किया था प्रतिकात्मक आंदोलन

प्रहार कार्यकर्ताओं ने आक्रोशित होकर सरकार का निषेध जताने के लिए 10 फरवरी2018 में अनूठा आंदोलन करते हुए प्रतिकात्मक यात्री शेड का उद्घाटन कर वहां बैठने का प्रबंध कर आंदोलन की चेतावनी दी थीं. बावजूद इसके प्रशासन की नींद नहीं खुली है. अब तक यात्री शेड की समस्या का निराकरण नहीं हो पाया है.

भाजपा के वर्तमान विधायक बोदकुरवार को भी निवेदन दिया गया. लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हो पाया है. तहसील में 100 से अधिक गांव है. यहां पर सरकारी, गैरसरकारी कार्यालयों के अलावा स्कूल, महाविद्यालय भी है. यहां पर शहर से छात्र, नागरिक ग्रामीण इलाकों से काम के सिलसिले में आते है. लेकिन यहां पर यात्री शेड नहीं रहने से सडक किनारे खडे रहकर बस और अन्य निजी वाहनों का इंतजार करना पडता है.