उत्तर भारत

Published: Mar 09, 2021 09:45 AM IST

Uttrakhand Politicsउत्तराखंड: राजनीतिक सस्पेंस खत्म, नहीं होगा कोई नेतृत्व परिवर्तन, विधायक दल की बैठक टली 

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

देहरादून. उत्तराखंड (Uttrakhand) में नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती अटकलों के बीच प्रदेश बीजेपी (BJP) ने सोमवार को कहा कि मंगलवार को यहां पार्टी विधायक दल की कोई भी बैठक होने की औपचारिक घोषणा नहीं की गयी है। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान (Munna Singh Chahuhan) ने  कहा, ‘‘जहां तक मेरी जानकारी है उसके हिसाब से कल यहां पार्टी विधायक दल की किसी भी बैठक की अबतक औपचारिक घोषणा नहीं की गयी है।” 

क्या थी घटना:

दरअसल उत्तराखंड में बीते तीन दिनों से जारी सियासी बवंडर के कारण उत्पन्न सियासी सस्पेंस को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल खत्म कर दिया है। राज्य में फिलहाल न तो कोई नेतृत्व परिवर्तन होगा और न ही मंगलवार को अब कोई विधायक दल की बैठक ही बुलाई जाएगी। इसके साथ ही पार्टी नेतृत्व ने इस मुद्दे पर गहन मंथन के बाद फैसला करने और मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये विवाद को खत्म करने का विकल्प भी आजमाने का संकेत भी दिया है।

लेकिन जब मुन्ना सिंह चौहान यह सवाल किया गया कि जैसा कि राजनीतिक मोर्चे पर अचानक बदलते घटनाक्रम से संकेत मिल रहे हैं, उसके हिसाब से उत्तराखंड में कोई बड़ा बदलाव तो नहीं होने जा रहा है, तो उन्होंने कहा, ‘‘देखते हैं।” उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) सोमवार को यहां पहुंचे और भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की। 

दरअसल ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा राज्य में राजनीतिक बदलाव पर विचार कर रही है। समझा जाता है कि दो केंद्रीय नेताओं– बीजेपी उपाध्यक्ष रमन सिंह और महासचिव दुष्यंत सिंह गौतम ने उत्तराखंड से वापस लाने पर पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। ये दोनों नेता प्रदेश बीजेपी के कोर ग्रुप के नेताओं से बातचीत करने उत्तराखंड आये थे। 

मामला टला पर ख़त्म नहीं हुआ: 

हालाँकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक और कुछ पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सोमवार को जो भी निर्णय हुआ है यह अस्थायी है। अंतिम निर्णय लेने से पहले केंद्रीय नेतृत्व को कई पक्षों को देखना है। मसलन राज्य में अगले ही साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नया चेहरा आजमाने का खतरा क्या उठाया जा सकता है या नहीं? क्या इस पूरे विवाद को मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये असंतुष्टों को खुश कर खत्म किया जा सकता है?

फिर सवाल जातिगत समीकरण का भी है। फिलहाल राज्य में जातिगत प्रभाव को देखते हुए वहां राजपूत और ब्राह्मण समुदाय में संतुलन बनाना जरूरी है। इसी के चलते अब इस मामले में केंद्रीय नेतृत्व ने विस्तार से मंथन करने का फैसला किया है।

यूं चला पुरा घटनाक्रम: