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Published: Jun 19, 2020 04:37 PM IST

जड़ी-बूटीसिद्ध शोध पत्रों में कोविड-19 से बचाव में ‘काबासूरा कुडिनीर' की क्षमता पर रोशनी डाली गई

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

चेन्नई. घातक कोरोना वायरस के लिए इलाज ढूंढने के वैश्विक प्रयास में, तमिलनाडु में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिद्ध के डॉक्टरों की टीम ने कोविड-19 मामलों के प्रबंधन में ‘काबासूरा कुडिनीर’ को प्रभावी पाया है। सिद्ध में कम से कम दो अनुसंधान पत्रों ने दावा किया है कि जड़ी-बूटी काबासूरा कुडिनीर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में कारगर है। काबासूरा कुडिनीर औषधीय काढ़ा है जिसमें अदरक, पिपली, लौंग, सिरुकनकोरी की जड़, मूली की जड़ें, कदुक्कई, आजवाइन और कई जड़ी-बूटियां सूखे रूप में शामिल हैं।

इन सामग्रियों का चूरा बनाकर पानी के साथ मिलाया जाता है फिर इसे तब तक उबाला जाता है जब तक कि वह एक चौथाई न रह जाए। संयोग से, तमिलनाडु सरकार रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसके उपयोग को बढ़ावा दे रही है हालांकि उसने स्पष्ट कर दिया है कि यह कोविड-19 के मरीज के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। पास के वेल्लोर में कोविड-19 की जांच में संक्रमित पाए गए 84 लोगों के दो समूहों (प्राथमिक एवं द्वितीयक संपर्कों) पर किए गए अध्ययन में दावा किया गया कि इस अध्ययन को औषधीय पेय के कारण मिलने वाले संरक्षण तथा उच्च जोखिम वाले कोविड-19 मामलों में इसके रोग निरोधी प्रभाव के प्रारंभिक साक्ष्य के तौर पर लिया जा सकता है।

त्रिरुपत्तूर जिले के सहायक चिकित्सा अधिकारी (सिद्ध) डॉ वी विक्रम कुमार, तमिलनाडु में भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी निदेशालय के निदेशक एस गणेश, तिरुपत्तर जिलाधिकारी एम वी सिवानारुल, तमिलनाडु के भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी निदेशालय के संयुक्त निदेशक पी पार्तीबन एवं अन्य ने अप्रैल माह में यह अध्ययन किया था। इसमें पाया गया कि जिन लोगों के काबासूरा कुडिनीर का सेवन किया था वे छह अप्रैल को कोविड-19 की जांच में नेगेटिव पाए गए जबकि जिन्हें यह औषधीय काढ़ा नहीं दिया गया था वे जांच में संक्रमित पाए गए। अध्ययन के मुताबिक काढ़ा पीने और मरीज की स्वास्थ्य स्थिति के बीच संबंध देखा गया।(एजेंसी)