उत्तर प्रदेश

Published: Sep 10, 2022 03:55 PM IST

FDR Technologyदेश में मॉडल बनी यूपी की सड़क बनाने की एफडीआर तकनीक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh ) में सड़क के इंफ्रास्ट्रक्चर (Road Infrastructure ) को मज़बूत कर रही योगी सरकार (Yogi Government) इसकी क्वालिटी को सुधारने के लिए भी प्रयास कर रही है। इसी के तहत देश में पहली बार उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत एफ़डीआर (फ़ुल डेप्थ रेक्लेमेशन) तकनीक (FDR Technology) से रोड का निर्माण किया जा रहा है। इस तकनीक से प्रभावित होकर देश के विभिन्न राज्यों से इसका प्रशिक्षण लेने के लिए इंजीनियर, कंसल्टेंट, तकनीकी विशेषज्ञों की टीम भी प्रदेश में आ रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के प्रयास से पूरे देश में उत्तर प्रदेश मॉडल के रूप में उभर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पुरानी सड़क के निर्माण में एफडीआर तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है, जो पूरे देश में मॉडल बन गई है। 

पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल है एफडीआर

इस तकनीक से जहां एक ओर कम खर्च में सड़क बन रही है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी तकनीक काफी कारगर है। दरअसल, इसके निर्माण में तारकोल का प्रयोग नहीं होता है। साथ ही पुरानी सड़क की गिट्टी समेत अन्य चीजों का इस्तेमाल दोबारा सड़क बनाने में किया जाता है। ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च नहीं होता है। इस तकनीक से बनी सड़क की लाइफ भी काफी ज्यादा होती है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 100 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया गया था। इसके सफल परिणाम आने के बाद 1,200 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया। 

खर्च भी आता है कम

उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि एफडीआर तकनीक से सड़क निर्माण में खर्च भी कम आता है। सामान्य तरीके से साढ़े पांच मीटर चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में एक करोड़ 30 लाख का खर्च आता है, जबकि इस तकनीक से सड़क बनाने में करीब 98 लाख रुपए का खर्च आता है।    

एफडीआर तकनीक से इस वर्ष बनेगी 5,500 किलोमीटर रोड 

भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि इस तकनीक से प्रभावित होकर देश के विभिन्न राज्यों के इंजीनियर, कंसल्टेंट और तकनीकी विशेषज्ञ इसका प्रशिक्षण लेने प्रदेश में आ रही है। त्रिपुरा, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड और असम आदि राज्यों से टीम प्रशिक्षण के लिए आ चुकी है। इसके साथ ही यहां की टीम ने राजस्थान और बिहार में एफडीआर तकनीक से रोड बनाने का प्रशिक्षण दिया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पीएमजीएसवाई की करीब 57 हजार किलोमीटर सड़क है। इस वर्ष 5,500 किलोमीटर सड़क को उच्चीकृत करने के लिए एडाप्ट किया गया है। इसे एफडीआर तकनीक से प्रदेश के 63 जिलों में सड़क बनाई जाएगी। पीडब्ल्यूडी ने भी इस तकनीक से अपनी रोड बनाने का फैसला लिया है। 

यह है एफडीआर तकनीक 

इसके तहत पुरानी रोड का उच्चीकरण किया जाता है। इसमें पुरानी रोड की गिट्टी समेत अन्य चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है। सड़क को जापान और नीदरलैंड की मशीन से सीमेंट और एडिटिव को मिक्स करके बनाया जाता है। इसके बाद एक लेयर केमिकल की बिछायी जाती है। विदेशों में इसी तकनीक से रोड को बनाया जाता है। इस तकनीक से बनी सड़क की लाइफ दस साल होती है, जबकि सामान्य तरीके से बनी सड़क की लाइफ पांच साल होती है।