उत्तर प्रदेश

Published: Sep 23, 2021 09:29 AM IST

UP Assembly Election 2022यूपी चुनाव में SP-BSP, कांग्रेस सहित AIMIM की मुसलमानों पर खास नजर, 20 फीसदी वोटों के लिए सभी पार्टियों के बीच घमासान जारी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के लिए अब चार महीने का समय बचा हुआ है। सभी राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं। राज्य में 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी, बीएसपी, कांग्रेस सहित ओवैसी की पार्टी मुसलमानों को साधने में जुटी है। हालांकि राज्य में मुस्लिम किसकी तरफ रूख करेंगे यह देखने वाली बात होगी। 

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। राज्य की 143 सीटों पर इनका प्रभाव है। विधानसभा की 70 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिमों की आबादी 20-30 सीडी के करीब है। जबकि 73 ऐसी सीटें भी हैं जहां मुसलमानों की आबादी 30 फीसदी से अधिक है। यही कारण है कि हर पार्टी मुसलमानों को अपने पक्ष में करना चाहती है। 

राज्य में मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का परंपरागत वोटर 90 के दशक तक माना जाता था। लेकिन राम मंदिर आंदोलन के बाद मुस्लिम वोटर कांग्रेस से दूर हो गया। साथ ही उसकी पहली पसंद समाजवादी पार्टी बन गयी। फिर मुसलमानों ने मायावती की पार्टी बीएसपी को भी तरजीह दी। सूबे में इन्ही दो पार्टियों के बीच मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता रहा है। ऐसे में राज्य में ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने से खासकर इन दोनों दलों की चिंता और बढ़ गई है। 

उल्लेखनीय है कि यूपी में मुस्लिम वोटरों के बीच समाजवादी पार्टी की अच्छी पैठ है। राज्य में 20 फीसदी मुस्लिम और 10 फीसदी यादव वोटरों के दम पर सपा एम-वाई समीकरण के दम पर सत्ता के सिहांसन में आसानी से पहुंचती रही है। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसे फिर से साथ लाने की है। 

कांग्रेस की बात करे तो वह वह सूबे की सत्ता में तीन दशक से बाहर है। ऐसे में वह भी मुस्लिमों को अपने पक्ष में कर कुछ बेहतर करना चाहती है। सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के समय प्रियंका गांधी वाड्रा अल्पसंख्यकों के साथ खुलकर नजर आई है। ऐसे में कांग्रेस की भी कोशिश मुसलमानों के बीच इसे भुनाने की है।  

बीएसपी चीफ मायावती की कोशिश है कि दलित-मुस्लिम समीकरण के माध्यम से वह फिर सियासी करिश्मा दिखाएं। यही कारण है कि वह भी मुस्लिमों वोटों को जोड़ना चाहती है। मायावती मुस्लिमों को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से दूर करने के लिए मलियाना और मुजफ्फरनगर दंगे की याद मुस्लिमों को दिलाती दिखाई पड़ी हैं। 

दूसरी तरफ बिहार की तरफ ओवैसी यूपी में कुछ खास करेंगे या नहीं इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। मौजूदा समय में ओवैसी ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा हैं। ओवैसी भी लगातार रैलियां कर रहे हैं। मुस्लिम युवाओं के बीच ओवैसी की लोकप्रियता बड़ी ही तेजी से बढ़ी है। लेकिन यह वोटों में तब्दील होगी या नहीं इस पर सभी की निगाहें हैं।