उत्तर प्रदेश
Published: Jul 18, 2021 12:21 AM ISTEnvironment Protectionयोगी सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफ़ी सजग, ट्री स्पेड ट्रांसलोकेटर से पेड़ो को किया जा रहा सेंट्रल जेल में शिफ़्ट
वाराणसी. वाराणसी (Varanasi)में विकास (Development) का पहिया तेजी से चल रहा है। विकास के साथ ही पर्यावरण संरक्षण (Environmental Protection) का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पहली बार विकास में बांधा आ रहे पेड़ों को काटा नहीं जा रहा बल्कि उनकों जड़ समेत निकाल कर दूसरी जगह पुनः स्थापित किया जा रहा है। कमिश्नरी परिसर में बनने वाले 18 मंजिले एकीकृत मंडलीय बिल्डिंग (Integrated Divisional Building) के प्रस्तावित जगहों पर लगे करीब दो से तीन दशक पुराने पेड़ो को सेंट्रल जेल (Central Jail) में शिफ्ट किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफ़ी सजग है। सरकार ने निर्णय लिया है कि विकास के कामो में बांधा आने वाले बड़े पेड़ों को वे काटेगी नहीं। बल्कि उसे जड़ समेत दूसरी जगह पुनः स्थापित करेगी। उत्तर प्रदेश में ऐसा काम पहली बार वाराणसी में देखने को मिल रहा है। वाराणसी के कमिश्नरी परिसर में मंडलीय स्तर के कार्यालय के लिए 18 मंजिला इमारत प्रस्तावित है। निर्माण के बीच में आ रहे करीब 25 से 30 वर्ष पुराने पेड़ो को जड़ समेत निकाल कर सेंट्रल जेल परिसर में लगाया जा रहा है।
डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफ़िसर महावीर कौजालगी ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता हरियाली को बचाए रखना है । इस लिए ट्री स्पेड ट्रांसलोकेटर के माध्यम से पेड़ों को जड़ से निकाल कर सेंट्रल जेल में लगाया जा रहा है। ये उपकरण कोन के आकार के होते है। जो करीब 4 फिट निचे से पेड़ों को सुरक्षित निकाल लेता है। इसके बाद पेड़ों का एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगस ट्रीटमेंट किया जाता है। साथ ही जिस जगह पर पेड़ को लगाना होता है। वहां पहले से गड्ढे तैयार रखे जाते है। यहाँ की मिट्टी का भी ट्रीटमेंट पहले से कर लिया जाता है। उन्होंने बताया कि करीब 25 से 30 वर्षो का समय इस तकनीक से बचा है। 73 पेड़ो को शिफ्ट किया जाना है। करीब 15 पेड़ों को पुनः स्थापित किया जा चुका है। मुख्यतः आम अमलतास, अशोक, गुलमोहर गूलर नीम आदि पौधों को शिफ्ट किया जा रहा है। क़रीब एक दर्जन पेड़ ऐसे है जिनकी आयु कम बची है और जो पेड़ आधे से ज़्यादा सुख गए है, उनको शिफ्ट नहीं किया जाएगा। आगे भी वाराणसी के हरियाली और पर्यावरण संरक्षण के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।