विज्ञान

Published: Nov 30, 2020 03:09 PM IST

कोविड-19 अध्ययनकोविड-19 के प्रसार रोकने में अहम नाक और मुंह की झिल्लियों: वैज्ञानिक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

न्यूयॉर्क: वैज्ञानिकों (Scientist) का मानना है कि नाक (Nose) और मुंह (Mouth) के अंदर मौजूद झिल्लियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोविड-19 (Covid-19) का प्रसार रोकने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। साथ ही, उन्होंने हल्के या मध्यम लक्षण वाले कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमितों में इस रोग प्रतिरोधक क्षमता की अहमियत का मूल्यांकन के लिए और अध्ययन की जरूरत पर जोर दिया।

जर्नल ‘‘फ्रंटियर इन इम्यूनोलॉजी” (Frontier in Immunology) में प्रकाशित विश्लेषण में रेखांकित किया गया है कि म्यूकसल (मुंह और नाक की झिल्लियां) रोग प्रतिरोधक प्रणाली इस रोग प्रतिरोधक क्षमता का सबसे बड़ा हिस्सा है लेकिन अबतक कोविड-19 को लेकर किए गए अध्ययन में इसपर अधिक ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है।

अमेरिका स्थित बफेलो यूनिवर्सिटी में कार्यरत और अनुसंधान पत्र के सह लेखक माइकल डब्ल्यू रशेल ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सार्स-कोव-2 वायरस से शुरुआत में मुकाबला करने वाली इन झिल्लियों को नजर अंदाज करना गंभीर खामी है।”

रशेल ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि प्रणालीगत इम्जूनोग्लोब्युलिन जी एंटीबॉडी – सबसे अधिक पाई जाने वाली एंटीबॉडी- महत्वपूर्ण है, हम इससे इनकार नहीं करते लेकिन यह अकेले प्रभावी नहीं है।” उन्होंने कहा कि शुरुआत में कोविड-19 पर अनुसंधान करने वालों का ध्यान गंभीर मरीजों पर था और यह स्थिति श्वासन प्रणाली के निचले हिस्से खासतौर पर फेफड़ों तक वायरस के पहुंचने से होती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि फेफड़े में कोशिकीय रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया संक्रमण से लड़ने की जगह शोथ बढ़ा देती है।

उन्होंने ने कहा, ‘‘लेकिन श्वसन प्रणाली के ऊपरी हिस्से, जिसमें नाक, टॉनसिल आदि आते हैं, वे शुरुआती स्थान होते हैं जिनके संपर्क में वायरस आता और उनकी रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया विशेष उद्देश्य के साथ होती है।” अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि बिना लक्षण वाले मरीजों से कोविड-19 के अधिक प्रसार की वजह से झिल्लियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता महत्वपूर्ण है।

रशेल ने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि कई संक्रमित बिना लक्षण के होते हैं, बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनमें मध्यम या हल्के लक्षण सामने आते हैं। यह संकेत करता है कि कुछ कहीं है जो वायरस को नियंत्रित करने में अच्छा काम करता है।”

वैज्ञानिकों का कहना है कि झिल्लियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने से नाक के जरिये दिए जाने वाले टीका का विकास संभव हो सकता है जिन्हें जमा करना, परिवहन करना और देना अधिक आसान है।