विज्ञान

Published: Apr 06, 2024 05:00 PM IST

Cleanest Air on Earthदक्षिणी महासागर में सबसे स्वच्छ हवा की क्या है वजह, जानें क्यों प्रदूषण का नहीं पड़ा असर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
सांकेतिक तस्वीर ( फोटो क्रेडिट - X/@brodieemery)

मेलबर्न: दक्षिणी महासागर धरती पर सबसे स्वच्छ हवा के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, इसके सटीक कारण अब तक रहस्य बने हुए हैं। मानवीय गतिविधि की कमी के अलावा और भी बहुत कारक हैं। वहां पर औद्योगिक रसायनों का उपयोग करने वाले और जीवाश्म ईंधन जलाने वाले कम लोग हैं। लेकिन सूक्ष्म कणों के प्राकृतिक स्रोत भी हैं, जैसे समुद्री स्प्रे से लवण या हवा से उड़ी धूल। हवा में घुले महीन ठोस कण या तरल बूंदों को एरोसोल के रूप में जाना जाता है। हम प्राकृतिक या औद्योगिक स्रोतों के बीच भेद किए बिना, स्वच्छ हवा को एरोसोल के निम्न स्तर वाला मानते हैं। हमारे हालिया अध्ययन से पता चला है कि बादल और बारिश वातावरण को स्वच्छ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बादलों और बारिश की भूमिका को समझना दक्षिणी महासागर में एरोसोल का स्तर कई कारकों से प्रभावित होता है। इनमें लवण स्प्रे की मात्रा और फाइटोप्लांकटन नामक छोटे पौधे की वृद्धि में मौसमी बदलाव शामिल हैं, जो वायुजनित सल्फेट कणों का एक स्रोत हैं। सर्दियों के दौरान कम सल्फेट कणों का उत्पादन होता है, जो तब होता है जब दक्षिणी महासागर के ऊपर की हवा सबसे अधिक स्वच्छ होती है। लेकिन यह अपने आप में संपूर्ण तथ्य नहीं है। दक्षिणी महासागर पृथ्वी पर सबसे अधिक बादलों वाला स्थान भी है। यहां अल्पकालिक, छिटपुट वर्षा का अनुभव होता है जैसा अन्यत्र कहीं नहीं होता। हम हवा को साफ करने में बादलों और बारिश की भूमिका को समझना चाहते थे। इन प्रक्रियाओं को समझने में सबसे बड़ी बाधा हमेशा दुनिया के इस क्षेत्र में बादलों, वर्षा और एरोसोल के उच्च-गुणवत्ता वाले अवलोकनों की कमी रही है।

हालांकि नयी पीढ़ी के उपग्रहों से हमें बादलों की तस्वीरों का समग्र रूप से अध्ययन करने में मदद मिलती है। हमने दक्षिणी महासागर के विशाल क्षेत्र में विभिन्न बादलों के पैटर्न को पहचानने के लिए एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया। विशेष रूप से हम बादल वाले क्षेत्र में विशिष्ट छत्ते के आकार के पैटर्न की तलाश में थे। ये छत्ते जैसे बादल बहुत रुचिकर हैं क्योंकि जलवायु को नियंत्रित करने में इनकी प्रमुख भूमिका है। इस तरह के बादल छा जाने से यह अधिक सफेद और चमकीला हो जाता है और ज्यादा मात्रा में सूर्य के प्रकाश को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करता है। इसलिए ये बादल पृथ्वी को ठंडा रखने में मदद करते हैं। दूसरी ओर, छत्ते वाले खुले” बादल सूर्य के प्रकाश को ज्यादा अंदर आने देते हैं। ये पेचीदगियां पृथ्वी की जलवायु के मॉडलिंग में त्रुटि का स्रोत बनी हुई हैं क्योंकि इन्हें ठीक से शामिल नहीं किया जा रहा है। बादल के ये खंड इतने बड़े होते हैं कि उन्हें अंतरिक्ष से देखा जा सकता है, उनका व्यास लगभग 40-60 किमी तक होता है। इसलिए हम उपग्रह चित्रों का उपयोग करके उनका अध्ययन कर सकते हैं। इस महीने तस्मानिया में केनाउक, केप ग्रिम में बादल और वर्षा प्रयोग के मद्देनजर हमारा शोध महत्वपूर्ण है। इसका लक्ष्य बादलों, बारिश और सूरज की रोशनी पर उच्च रिजॉल्यूशन डेटा प्राप्त करना है।

आकाश से एरोसोल को साफ करना, हमने छत्ते या हनीकॉम्ब क्लाउड पैटर्न के बादल की तुलना केनाउक,केप ग्रिम वेधशाला से एरोसोल के माप के साथ की और पास के वर्षा गेज से मौसम विज्ञान ब्यूरो के वर्षा संबंधी आंकड़ों के साथ भी तुलना की। हमारे परिणामों से पता चला कि सबसे स्वच्छ हवा वाले दिन का संबंध खुले छत्ते वाले बादल की उपस्थिति से है। हमें लगता है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये बादल छिटपुट लेकिन तीव्र बारिश की बौछारें उत्पन्न करते हैं, जो हवा से एरोसोल कणों को धो देती हैं। हमने पाया कि खुले छत्ते वाले बादल बंद पैटर्न के बादलों की तुलना में छह गुना अधिक बारिश पैदा करते हैं। तो उपग्रह द्वारा जो कम बादल वाला मौसम दिखता है वह वास्तव में एरोसोल को धोने के लिए सबसे प्रभावी बारिश की बौछारों को उत्पन्न करता है। जबकि भरा हुआ या छत्ते की तरह का बादल धुंधला दिखता है। यह हमारे निष्कर्षों के अधिक आश्चर्यजनक पहलुओं में से एक था। हम यह भी जानना चाहते थे कि बादल क्षेत्र किस तरह से दिखते हैं। हमारा विश्लेषण बताता है कि बड़े पैमाने पर मौसम प्रणालियां बादल क्षेत्र के पैटर्न को नियंत्रित करती हैं।

जैसे ही अनियंत्रित तूफान दक्षिणी महासागर में घूमते हैं, वे इन खुली और बंद सेल का निर्माण करते हैं। छत्ते की तरह के बादल सर्दियों के दौरान उत्तरी अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत दोनों क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं। इसलिए हमारा काम यह समझाने में भी मदद करेगा कि ये बादल इन स्थानों में धूल और प्रदूषण सहित एरोसोल को कैसे हटाते हैं। हमारे निष्कर्ष जलवायु मॉडल को बेहतर बनाने में मदद करेंगे, जिससे अधिक सटीक पूर्वानुमान संभव होंगे। बारिश आसमान से एरोसोल को उसी तरह साफ कर देती है, जैसे वॉशिंग मशीन कपड़ों को साफ करने का काम करती है। अगर आप सर्दियों में ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी तट पर जा रहे हैं, तो आप वहां लुत्फ उठा सकते हैं क्योंकि यह ताजी हवा दक्षिणी महासागर से आती है। (भाषा)