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Published: Mar 29, 2022 10:04 AM IST

Country's Heaviest Bellजो ना कर सका कोई, वो मुस्लिम शख्स ने कर दिखाया, पशुपतिनाथ मंदिर में लटका दिया देश का सबसे वजनी घंटा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मंदसौर, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर (Mandsaur) से बड़ी खबर सामने आ रही है। मंदसौर में पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) में देश का सबसे वजनी घंटा (Country’s Heaviest Bell) लगाया गया है। इस घंटे का वजन 3700 किलो है। इस विशाल घंटे के निर्माण के लिए लोगों के घरों से तांबे और पीतल के पुराने बर्तन दान में लिए गए। वहीं, 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद यह महा घंटा बनकर तैयार हुआ है।

बता दें कि, पिछले दो सालों से यह घंटा बनकर तैयार है। लेकिन, यह अभी तक मंदिर के परिसर में ही रखा हुआ था। इस महा घंटा को लटकाने का काम काफी मुश्किल भरा था और कोई भी यह खतरा मोल लेना नहीं चाहता था। इसी दौरान मंदसौर के कलेक्टर गौतम सिंह ने इस घंटा को मंदिर में लगवाने का फैसला लिया। कलेक्टर ने यह काम करने के लिए नाहरू खान नाम के शख्स को बुलवाया। इस शख्स ने कलेक्टर से 10 दिन का समय मांगा। वहीं, नाहरू खान ने आखिर में 3700 किलो का घंटा लटका कर दिखाया। 

मंदिर (Temple) में इस विशाल घंटे को टांगे जाने के बाद इसे सबसे पहले नाहरू खान, विधायक यशपाल सिंह ,कलेक्टर गौतम सिंह और घंटा समिति के दिनेश नागर ने बजाया। माना जाता है कि, मंदसौर में जब भी कोई बड़ा काम किसी से नहीं हो पाता है, तब नाहरू खान ही काम आते हैं। नाहरू खान सिर्फ दूसरी कक्षा तक पढ़े हैं। 

घंटा अभियान समिति के सदस्य दिनेश नागर ने बताया कि, इस विशाल घंटे को बनाने के लिए लगभग डेढ़ सौ अलग-अलग इलाकों से लोगों के घरों से पीतल और तांबे के पुराने बर्तन इकट्ठे किए गए। जिसके बाद यह शिव घंटा बनाया गया। पहले 21 क्विंटल वजन का घंटा बनाने का लक्ष्य था, लेकिन लोगों ने आस्था के रूप में इतने पुराने बर्तन दान किए गए की इसका वजन 37 क्विंटल तक पहुंच गया।

इस बारे में कलेक्टर गौतम सिंह ने कहा कि, उनकी तैनातगी के पहले ही एक घंटा अभियान समिति ने गांव-गांव घूम कर लगभग 40 क्विंटल के आसपास तांबा और पीतल इकट्ठा कर लिया था। वहीं, 2 साल पहले ही इस विशाल घंटे का निर्माण हो गया था। लेकिन इसकी स्थापना नहीं हुई थी। अब इसकी स्थापना हो गई है। 

वहीं, नाहरू खान ने कहा कि, वह मंदसौर के लोगों को और घंटा अभियान समिति को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं। जब यह घंटा बनकर आया, तब हमने इसके लिए अलग ट्राली बनाई थी। 2 साल से मंदिर के परिसर में ही रखे हुए इस घंटे की स्थापना करना जरूरी था। लेकिन, हर शख्स इस घंटे के वजन के कारण घबराता था।

उन्होंने कहा, ‘मंदसौर की जनता को मेरे ऊपर बहुत विश्वास है कि नाहरू भाई जो काम करेंगे वह अच्छा ही करेंगे, मैं कलेक्टर और विधायक जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया और यह काम मेरे सुपुर्द किया। मैं दूसरी कक्षा तक ही पढ़ा हुआ हूं, लेकिन मुझे प्रैक्टिकल नॉलेज ज्यादा है’।