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Published: Mar 31, 2020 01:06 AM IST

विदेशकोरोना: यह वायरस जिंदा जिव नहीं है - रिसर्च

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

वाशिंगटन. कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचाया है। इस वायरस से दुनिया अब तक सात लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हुए है। साथ ही कोरोना से दुनिया के 32 हजार से भी अधिक लोगों ने अपनी जान गवाई है। वहीं कोरोना वायरस को लेकर कई बड़ी-बड़ी रिसर्च संस्थाए रिसर्च कर रही है। हालांकि अब तक इस वायरस पर कोई टिका तैयार नहीं हुआ। लेकिन जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस पर रिसर्च कर कुछ अहम तथ्य सामने लाये है। 

जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस के ऊपर रिसर्च कर इसके बारे में कुछ अहम तथ्य और जानकारी सामने लायी है। रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस कोई जिन्दा जिव नहीं है। यह एक प्रोटीन मॉलिक्यूल (डीएनए) है। यह फैट की एक परत से घिरा होता है। जब किसी व्यक्ति के आंख, नाक या बुक्कल म्यूकोसा (मुख कैंसर) की सेल्स द्वारा सोखा जाता है तो इसके जेनेटिक कोड को बदल देता है। जिसके बाद यह इसका रूपांतर आक्रामक और मल्टीप्लायर सेल्स में कर देता है। यह समाचार बीबीसी ने दिया है।   

कोरोना का वायरस प्रोटीन मॉलिक्यूल होने के कारण ऐसे में यह मरता नहीं, खुद ही क्षय हो जाता है। यह वायरस बहुत ही अल्पकालिक होता है। इसके ख़त्म होने का समय तापमान, ह्यूमिडिटी, और मटेरियल पर निर्भर होता है। 

कैसे बचे इस वायरस से?

यह वायरस कहा ज्यादा देर टिका रहता है?