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Published: Apr 18, 2024 08:10 AM ISTDubai DownpourUAE समेत इन 4 खाड़ी देशों में बाढ़-बारिश! क्या क्लाउड सीडिंग है इसकी बड़ी वजह...
नई दिल्ली: बीते 15 अप्रैल की रात को UAE, सऊदी अरब (Saudi Arab), बहरीन और ओमान में अचानक भारी बारिश की शुरुआत हुई। जिसके बाद ये देखते ही देखते तूफान में तब्दील होने लगी। इसके बाद तो हालात इतने खराब हो गए कि मंगलवार आते-आते इस बारिश के चलते इन देशों के दर्जनों शहरों में बाढ़ आ गई है।
वहीं गर्म रेगिस्तान के बीच बसे शहर दुबई के इंटनेशनल एयरपोर्ट पर तो बीते 24 घंटे में 6।26 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है। मौसम संबंधी जानकारी देने वाली वेबसाइट ‘द वेदरमैन डॉट कॉम’ के मुताबिक यहां इतनी बारिश दो सालों में होती है, जो फिलहाल यहां एकसाथ हो गई है।
क्या ‘क्लाउड सीडिंग’ है इसकी वजह
इधर इन खाड़ी देशों में आई इस बेमौसम बाढ़ का कारण कुछ एक्सपर्ट्स ‘क्लाउड सीडिंग’ यानी आर्टिफिशियल बारिश को भी बता रहे हैं। इस बाबत एसोसिएट प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में यह पुरजोर दावा किया है कि, दरअसल दुबई प्रशासन ने बीते सोमवार को क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने के लिए एक विमान उड़ाया था। इसके कुछ देर बाद ही खाड़ी देशों को भी अचानक भारी बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ा है।
लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि ये वजह नहीं है. इस बाबत हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट की बात करें तो, मौसम विज्ञानियों ने यह भी कहा कि, क्लाउड सीडिंग के साथ, बारिश हो सकती है, लेकिन फिलहाल इस केस में यह वास्तव में बारिश या बाढ़ नहीं है. कम से कम ऐसा कुछ नहीं है जिसने संयुक्त अरब अमीरात को पूरा ही भिगो दिया और दुबई में ये बाढ़ जैसे स्थिति बनी है.
भारत से दुबई की उड़ानें बाधित
इसके साथ ही दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में शामिल दुबई हवाई अड्डे पर भारी बारिश के कारण पानी भरने से भारत से दुबई की उड़ानें काफी हद तक बाधित हो चुकी हैं। देश के विभिन्न शहरों से दुबई के लिए सप्ताह में 72 उड़ानों का संचालन करने वाली एयर इंडिया ने बीते बुधवार को अपनी उड़ान सेवाएं रद्द कर दी थीं।
क्या होती है ‘क्लाउड सीडिंग’
दरअसल जब जब प्राकृतिक रूप से कहीं बारिश नहीं हो तो फिर आर्टिफिशियल तरीके से बादलों को बारिश में बदलने की तकनीक को ही ‘क्लाउड सीडिंग’ कहा जाता है। क्लाउड सीडिंग की तकनीक में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आइस (सॉलिड कॉबर्न डाइऑक्साइड) जैसे रसायनों को हेलिकॉप्टर या प्लेन के जरिए आसमान में बादलों के करीब बिखेर दिया जाता है। जिसके बाद ये पार्टिकल हवा में भाप को आकर्षित करते हैं, जिससे तूफानी बादल बनते हैं और अंत में वहां बारिश होती है। इस तरीके से बारिश होने में करीब आधा घंटा लग जाता है।