विदेश

Published: May 10, 2023 04:45 PM IST

Report इस मामले में भारत की स्थिति सबसे खराब: UN की रिपोर्ट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
Representational Image

केप टाउन: दुनियाभर में प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत, मृत शिशुओं के जन्म और नवजात शिशुओं की मौत होने के 60 प्रतिशत मामले 10 देशों में पाए गए हैं और इस सूची में भारत (India) की स्थिति सबसे खराब है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर शिशुओं के जन्म के 51 प्रतिशत मामले जिन 10 देशों में दर्ज किए गए हैं, उनकी सूची में भी भारत शीर्ष पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की रिपोर्ट में प्रकाशित इन आंकड़ों को ‘अंतरराष्ट्रीय मातृ नवजात स्वास्थ्य सम्मेलन’ (IMNHC 2023) के दौरान मंगलवार को जारी किया गया।

इन आंकड़ों के अनुसार, 2020-2021 में प्रसव के दौरान दो लाख 90 हजार महिलाओं की मौत हुई, 19 लाख मृत शिशुओं का जन्म हुआ और 23 लाख नवजात शिशुओं की मौत हुई, यानी वैश्विक स्तर पर कुल 45 लाख मौत हुईं, जिनमें से भारत में मृतक संख्या 7,88,000 रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान दुनिया भर में पैदा हुए बच्चों में से 17 प्रतिशत शिशुओं का जन्म भारत में हुआ और यह भी मौत की अधिक संख्या का कारण हो सकता हे। 

रिपोर्ट के अनुसार, मातृ मृत्यु, मृत शिशुओं के जन्म और नवजात की मौत संबंधी इस सूची में भारत के बाद नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, बांग्लादेश और चीन का नंबर है। उप-सहारा अफ्रीका और मध्य एवं दक्षिणी एशिया ऐसे क्षेत्र हैं जहां इस तरह की मौत के मामले में स्थिति सबसे खराब है, लेकिन वैश्विक 2030 के लक्ष्यों को हासिल करने को लेकर हर देश के प्रयास की गति अलग है। अब तक की पहली संयुक्त ‘प्रत्येक नवजात कार्य योजना’ (ENAP) और ‘रोकी जा सकने वाली मातृ मृत्यु दर समाप्ति (एंडिंग प्रिवेंटेबल मैटरनल मॉर्टेलिटी) (EPMM) रिपोर्ट के अनुसार, गर्भवती महिलाओं, माताओं और शिशुओं की मृत्यु के मामलों को कम करने की दिशा में वैश्विक प्रगति मातृ एवं नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य में घटते निवेश के कारण आठ वर्षों से स्थिर रही है। 

डब्ल्यूएचओ में मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य संबंधी मामलों की निदेशक डॉ अंशु बनर्जी ने कहा, ‘‘गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की दुनिया भर में उच्च दर से मौत हो रही है, जो अस्वीकार्य है और कोविड महामारी ने उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की दिशा में रुकावटें पैदा की हैं।” उन्होंने कहा ‘‘अलग परिणाम देखने के लिए हमें चीजों को अलग तरह से करना होगा। प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल में निवेश बढ़ाना होगा क्योंकि ऐसा करने से हर महिला और बच्चे के लिए स्वास्थ्य और जीवित रहने के अवसर बढ़ेंगे।” (एजेंसी)