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Published: Jun 19, 2023 01:26 PM IST

India-US Relation बेहद खास है PM मोदी की 'ये' US मेजबानी, जानें क्यों अमेरिका हुआ भारत का मुरीद

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नई दिल्ली: दुनिया का सबसे ताकतवर देश यानी अमेरिका (America) इस महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी करेगा। जी हां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन (President Joe Biden and First Lady Jill Biden) ने प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को निमंत्रण भेजा है। ऐसे में अब PM मोदी 21 से 24 जून को अमेरिका की यात्रा पर रहेंगे। बाइडन दंपती 22 जून को प्रधानमंत्री मोदी के लिए राजकीय रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। 

साथ ही प्रधानमंत्री मोदी 22 जून को कांग्रेस के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी वाशिंगटन के प्रतिष्ठित ‘रोनाल्ड रीगन बिल्डिंग एंड इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर’ में 23 जून को आयोजित कार्यक्रम में भारतीय-प्रवासियों को संबोधित करेंगे। आइए जानते है इस बार का PM मोदी का दौरा अमेरिका के लिए कितना महत्वपूर्ण साबित होगा, आखिर अमेरिका क्यों बढ़ा रहा भारत से इतनी नजदीकियां…

विश्व का सबसे बड़ा हथियार खरीदार है भारत 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि विश्व में रूस दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है और भारत इसका सबसे बड़ा खरीदार देश है। अगर हम बात करें बीते 10 साल की तो रूस की तरफ से जो हथियार निर्यात किए गए हैं, उनका 35 फीसदी हिस्सा पूरी दुनिया में से सिर्फ अकेले भारत ने खरीदा है। अब जाहिर सी बात है PM मोदी के इस महीने होने वाले अमेरिकी दौरे में दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र को लेकर भी बात होगी, ऐसे में अब यह कह सकते है कि अमेरिका की कोशिश होगी वह एक हथियार निर्यातक के तौर पर भारत का विश्वास जीत पाए और रूस की बजाय खुद को विकल्प साबित कर सके, ताकि भारत फिर रूस से नहीं बल्कि अमेरिका से हथियार खरीद सकें जिसका लाभ अमेरिका को होना है।

 

अमेरिका में भारतीयों का बोलबाला 

जैसा की हम देख रहे है अमेरिका में भारतीयों का दबदबा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिका की उपराष्ट्रपति भारतीय मूल की कमला हैरिस है। ऐसे में अब बाइडेन प्रशासन में कई भारतवंशियों का जलवा है। ज्ञात हो कि वहां राष्ट्रपति चुनाव में भी भारतवंशी लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि अमेरिकी संसद में वर्तमान में वहां 5 भारतवंशी सांसद हैं। अगर हम पिछले 7 साल से देखें तो लगातार राष्ट्रपति चुनाव में भारतवंशी दावेदारी करते आ रहे हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस बार भी रिपब्लिकन उम्मीदवारों में भारतवंशी विवेक रामास्वामी शामिल हैं। ऐसे में पीएम मोदी के प्रति अमेरिका की बढ़ती नजदीकियां इसमें अहम भूमिका निभाने वाली है। भारत से इस तरह नजदीकियां भड़ाना  भारतवंशियों में वर्तमान प्रशासन के बीच भरोसा जगाने का माध्यम है। 

भारत से बढ़ते व्यापारिक संबंध, चीन को मात 

किसी भी देश को व्यापार क्षेत्र में ऊंचाइयां हासिल करना है तो उस क्षेत्र में महारथ हासिल कर रहे देशों के साथ अच्छे संबंध प्रस्थापित करना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंध भी इसका एक कारण माने जा रहे हैं, 2022-2023 में वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन 128.55 करोड़ रुपये का रहा है। इसमें सबसे ज्यादा खास बात ये है कि भारत के साथ व्यापारिक संबंधों में मामले में चीन पीछे छूट रहा है। जी हां भारत और चीन इन दोनों देशों के बीच इस बीच सिर्फ 113.83 अरब डॉलर के व्यापारिक संबंध रहे है। ऐसे में अब अमेरिका इस संबंध को बरकरार रखना चाहता है, ताकि दुश्मन देश चीन को इस व्यापार क्षेत्र में मात दे सके। अब यह देखना होगा की मोदी कि यह यात्रा अमेरिका के व्यापार के लिए कितनी कारगर साबित होती है। 

भारत की स्वतंत्र विदेश नीति से अमेरिका प्रभावित  

अगर आप वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत लगातार वैश्विक मंचों पर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति से को खुद को ताकतवर सिद्ध करता रहा है, गौरतलब हो कि पिछले दिनों उज्बेकिस्तान के शिखर सम्मेलन में PM मोदी ने पुतिन से खड़े बोल में कह दिया था कि ”यह युद्ध का युग नहीं है।” इतना ही नहीं बल्कि इसके बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाया, तब भारत पर रूस से तेल न खरीदने का दबाव भी बनाया गया, लेकिन भारत पश्चिमी देशों के दबाव में नहीं आया और अपने स्वतंत्र विदेश नीति का परिचय दुनिया को दिया। जी हां इस दबाव को प्रतिउत्तर देते हुए भारत की ओर से तर्क दिया गया कि जो हमारे नागरिकों के लिए ठीक होगा हम वही करेंगे। गौरतलब हो कि इससे पहले यूएन में भी रूस के खिलाफ प्रस्ताव के दौरान भारत ने तटस्थ रहकर इस बात का परिचय दिया था कि वह किसी के दबाव में आने वाला नहीं। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के दौरान भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र को खरी खोटी सुनाई थी। ऐसे में भारत कि यह स्वतंत्र विदेश नीति से अमेरिका प्रभावित हो रहा है। 

चीन को हराने के लिए भारत का साथ 

वैश्विक स्तर पर हम देख रहे है कि अमेरिका को चीन के बीच कैसे संबंध है, ऐसे में अब चीन से निपटने के लिए अमेरिका को भारत का साथ चाहिए। बता दें कि अब बात को मद्देनजर रखते हुए इसके लिए भारत की ताकत बढ़ाने की जरूरत है, फाइटर जेट के हॉट इंजन की तकनीक ट्रांसफर इसकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। ऐसे में अब दक्षिण चीन सागर में चीन का लगातार बढ़ता हस्तक्षेप और ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव के बीच में भारत महत्वपूर्ण कड़ी बन जाता है। जी हां  वर्तमान में अमेरिका जनता है कि यहां सिर्फ भारत ही है जो चीन के सामने खड़े होने की और दो टूक सुनाने की ताकत रखता है।  अमेरिका ये जानता है कि चीन और भारत के रिश्ते ठीक नहीं हैं, ऐसे में भारत से दोस्ती बढ़ाकर वह अप्रत्यक्ष चीन को ये संदेश देना चाहता है कि भारत के साथ उसकी नजदीकियां सिर्फ कारोबारी नहीं बल्कि रणनीतिक है। ऐसे में चीन का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत की काफी मदद हो सकती है। 

ज्ञात हो कि अमेरिका के सामने पुतिन से लेकर ट्रंप और शी जिनपिंग से लेकर किम जोंग-उन तक कई बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन  दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश कहे जाने वाले अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्री का करिश्मा छाया हुआ है। ऐसे में अब अमेरिका न केवल भारत से अपने संबंध मजूबत कर रहा है बल्कि इसके साथ ही कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विश्व में अपनी जगह बरकरार रखने के लिए अब भारत कि मदद भी ले रहा है। 

जी हां अमेरिका अब भारत को राजनीतिक सहयोगी के रूप में देख रहा है, जो कि दुश्मन देश चीन को मात करने के लिए भारत अमेरिका के लिए सुरक्षा कवच है। ज्ञात हो कि PM मोदी दुनिया के तीसरे नेता बन जाएंगे, जिन्हें मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह सम्मान दिया। जानकारी के लिए आपको बता दें कि जो बाइडेन ने इससे पहले फ्रांस के इमानुएल मैक्रॉन और दक्षिण कोरिया के यून सुक येओल को ही राजकीय यात्रा और भोज के लिए आमंत्रित किया है। अब देखना यह होगा कि अमेरिका-भारत के इस बढ़ती नजदीकियों का असर इन दोनों देश और दुनिया के बाकी देशों पर क्या होता है।