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Published: Jun 19, 2020 02:38 PM IST

वायरस अध्ययनवैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के प्रसार को मुख्यत: वायुजनित बताने वाला अध्ययन वापस लेने की मांग की

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

लॉस एंजिलिस. कोविड-19 को मुख्यत: हवा से फैलने वाली बीमारी बताने वाले एक अध्ययन को वापस लेने की मांग करते हुए 40 से अधिक वैज्ञानिकों ने एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। पिछले हफ्ते, ‘पीएनएस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कोविड-19 के मामलों और चीन के वुहान शहर, इटली और अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी में लागू किए गए उपायों की तुलना की गई और पाया कि सार्वजनिक स्थानों पर निकलते वक्त मास्क पहनना कोविड-19 के प्रसार को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। खुले पत्र में, अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नोआह हाबर समेत अन्य वैज्ञानिकों ने कहा है कि पीएनएएस के अध्ययन में अनुसंधान प्रणाली संबंधी खामियां हैं और “आसानी से झूठे साबित हो सकने वाले दावे” किए हैं।

खुले पत्र के मुताबिक, अध्ययन के मुख्य परिणाम रोग नियंत्रण कदमों, वुहान, इटली और न्यूयॉर्क सिटी के मामलों की तुलना पर आधारित हैं। हालांकि, इसने कहा कि पीएनएस के अध्ययन में इन स्थानों पर अपनाई गई रोग नियंत्रण नीति के अन्य स्पष्ट अंतरों को नजरअंदाज किया गया जिसमें मास्क लगाने संबंधी नीति में विस्तृत अंतर भी शामिल थे।

खुले पत्र में कहा गया कि अध्ययन के विश्लेषण में रोग प्रसार में बदलाव और सामने आ रहे मामलों में परिवर्तन के बीच के अंतराल को नजरअंदाज किया गया। इसमें कहा गया कि अध्ययन में जिन नीति क्रियान्वयन तिथियों पर विचार किया गया वे तमाम लोगों के व्यवहार के परिप्रेक्ष्य में बेहद खराब प्रतिनिधित्व को दर्शाता है जिसमें सामाजिक दूरी और मास्क का प्रयोग भी शामिल है। वैज्ञानिकों ने कहा कि पीएनएएस अध्ययन में मुद्दों के स्तर, संभावनाओं और तीव्रता को देखते हुए और इसके परिणामों के आधार पर लिए गए फैसलों की तत्कालिकता को देखते हुए इसको ठीक करना अब असंभव है इसलिए उनकी मांग है कि पीएनएएस का संपादकीय बोर्ड इस अनुसंधान पत्र को तत्काल वापस ले।(एजेंसी)