Water Supply

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अमरावती. गत वर्ष पर्याप्त बारिश होने के बावजूद प्रशासन को इस वर्ष जलसंकट से जुझने 15 करोड़ 90 लाख रुपयों का खर्च करना पड़ा. विशेष बात यह है कि लगातार 4 वर्षों से जलसंकट का बजट कम होने की बजाए लगातार बढ़ता जा रहा है. 4 वर्ष पूर्व जलकिल्लत को दूर करने जिला परिषद की ओर से 4 करोड़ रुपयों का बजट तैयार किया गया, जिसके बाद प्रतिवर्ष ही पानी के लिए पानी की तरह पैसें बहाया गया, बावजूद इसके जड़ से जलसंकट दूर नहीं हो पा रहा. गत वर्ष भी पर्याप्त बारिश होने के बावजूद 15.90 करोड़ रुपये खर्च किये जाने से हैरत जताया जा रहा है. 

टैंकर पर 1.20 करोड़ खर्च
जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने विभागीय आयुक्त कार्यालय को रिपोर्ट भेजी है, जिसमें इस वर्ष जलसंकट से जुझने के लिए प्रशासन द्वारा किये गये खर्च का ब्यौरा दिया. जिसमें टैंकर व बैलगाड़ी के माध्यम से लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए 27 योजना के माध्यम से 26 गांवों पर 1 करोड़ 20 लाख रुपये खर्च किये गये.  

एक ही योजना पर प्रतिवर्ष करोड़ों खर्च
प्रतिवर्ष ही इस योजना पर करोड़ों रुपयों का खर्च किया जाता है, बावजूद इसके दूसरे वर्ष भी उसी गांव पर खर्च कैसे किया जाता है, यह भी विशेष है. इस वर्ष भी 6.98 करोड़ रुपये नलयोजनाओं की दुरुस्ती पर खर्च किये गये. इसके साथ ही प्रति वर्ष बोअर खुदाई पर भी करोड़ों रुपयों का बिल निकाला जाता है. इस वर्ष भी गांव को जलसंकट से दूर करने 4.98 करोड रुपये खर्च किये गये. 

फूटी कौड़ी नहीं
प्रशासन द्वारा इस वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद भी शासन की ओर से फूटी कौड़ी भी नहीं मिली. प्रशासन ने यह गत वर्ष से शेष बची रकम से किया है. इस वर्ष 1669 योजनाओं के माध्यम से 1,488 गांवों में जलकिल्लत की समस्याओं पर उपाययोजना करनी थी. 

इस वर्ष से कम होगा बजट
जलसंकट पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च किये जाते थे. ऐसे पैसे खर्च करने की बजाए राज्य सरकार ने अब जलजीवन मिशन से प्रत्येक नागरिकों के घर तक नल पहुंचाने की योजना बनाई है. गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष बजट कम हुआ है.-आर. डी. सावलकर, कार्यकारी अभियंता ग्रामपंचायत जलापूर्ति विभाग