Strong rain in the city, water accumulated on the roads
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    अमरावती. मानसून पूर्व तैयारी के लिये प्रशासन जुट गया है. इस दौरान आपदा प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बारिश से आपदाएं निर्माण होने पर वहां पर आपदा नियंत्रण टीम तुरंत पहुंचाई जाती है. इसके लिये जिले में 16 नियंत्रण कक्ष 1 जून से आगामी चार महीनों तक क्रियान्वित किये गये है. जिला आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी निवासी उपजिलाधिकारी नितिन व्यवहारे को सौंपी गई. 

    482 गांव बाढ प्रभावित

    जिले का अधिकांश 70 प्रतिशत भू क्षेत्र ग्रामीण है. इनमें से 482 गांव बाढ प्रभावित है. इस हालात में यहां पर आपदा नियंत्रण कक्ष महत्वपूर्ण है. जिले के 14 तहसीलों के मुख्यालय के अलावा जिला व विभाग स्तर पर एक ऐसे कुल 16 कक्ष स्थापित किये गये है. जिले के नदी बहाव वाले क्षेत्र में अतिवृष्टि होने पर, प्रकल्प से पानी छोडे जाने पर, नदी – नाले के पात्र नजदीक अतिक्रमण करने, पर्वतारोही क्षेत्र में अतिवृष्टि जैसे अनेक कारणों से बाढ की स्थिति निर्माण होती है. जिससे 428 गांव बाधित होते है.

    ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर 1,926 गोताखोरों का भी पंजीयन राजस्व विभाग के पास किया गया है. यह सभी मदद व खोज बचाव टीम की सहायता से नागरिकों को तत्काल मदद दिलाते है. 

    6 मोटर बोट, 222 लाइफ जैकेट

    आपदा की स्थित में जिले में 6 मोटरबोट, 222 लाइफ जैकेट, 126 रिंग जैकेट, 22 रोप बंडल, 22 सर्च लाईट, 22 मेगाफोन, 22 ऑक्सीजन किट, 15 बीओबी रोप, 30 फायर एक्सटीग्युशर, 30 लेदर ग्लोव्हज, 30 अन्य साहित्य उपबल्ध होने की जानकारी जिला आपदा प्राधिकरण अधिकारी सुरेंद्र रामेकर ने दी. जिले में आपदा प्रबंधन के पास 417 प्रशिक्षित मनुष्य संसाधन है. इनमें से खोज व बचाव टीम में 351, प्राथमिक उपचार कक्ष में 4, स्कूबा ड्राइवर 2, मास्टर ट्रेनर 16, एनजीओ 2, रेडक्रॉस सोसाइटी के 43 मनुष्य संसाधन का समावेश है.