Thousands of liters of milk sales down, milk producers upset due to the closure of restaurants, hotels and dhabas

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अमरावती. दशहरा भले ही कोरोना के साये में मनाया गया, लेकिन शरद पूर्णिमा का त्योहार घर-घर में मनाए जाने से हजारों लीटर दूध की बिक्री होने की संभावना जताई जा रही है. विभिन्न दूध डेअरी ने 14 से 15 हजार लीटर  दूध का नियोजन किया है जबकि महाराष्ट्र शासन की ओर से 3 हजार लीटर  दूध बिक्री का नियोजन किया है. 

गत वर्ष की तुलना में कम नियोजन 

गत वर्ष 21 हजार लीटर का नियोजन  दूध डेअरी की ओर से किया गया था. लेकिन इस वर्ष उसकी तुलना कम नियोजन किया है. अनलॉक के बाद अब धीरे-धीरे लोग भी इकट्ठा हो रहे हैं. बावजूद इसके शासकीय नियमों का पालन हो इसलिए घर-घर में ही कोजागिरी मनाएंगे.    दूध डेअरियों ने भी उतना नियोजन किया है. शासन की दूध डेअरी ने गत वर्ष से नियोजन में बढ़ोतरी की है.

गत वर्ष मात्र 2 हजार लीटर का नियोजन किया था, लेकिन समय पर  दूध की डिमांड बढ़ने से इस वर्ष 3 हजार लीटर का नियोजन किया है. जबकि अन्य निजी डेअरियों ने शासकीय  दूध डेअरी से तीन गुना नियोजन किया है. 14 से 15 हजार लीटर  दूध निजी डेअरियों से डिमांड होने की जानकारी दी गई है. 

35 एजेंसी के माध्यम से बिक्री

5 वर्ष पूर्व शासकीय  दूध डेअरी ने 10 से 12 हजार लीटर का नियोजन किया था. लेकिन अब धीरे धीरे निजी डेअरियों के कारण शासकीय  दूध डेअरी की डिमांड कम होती जा रही है. बावजूद इसके 3 हजार लीटर का नियोजन किया है  जिसके लिए शहर में 30 से 35 एजेंसियां नियुक्त है उनके माध्यम से लोगों तक  दूध पहुंचाया जाएगा. -सतीश इंगले, प्रभारी  दूध शाला व्यवस्थापक

स्वास्थ्य के लिए भी पूर्णिमा वरदान 

शरद पूर्णिमा को धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था. प्राचीन पुराणों में उल्लेखित है कि इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है. इसलिए  दूध की खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखने की परंपरा है. स्वास्थ्य के लिए भी यह पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण है. दमा व अस्थमा के लिए दवाईंयां बनाई जाती है. पूरे वर्ष में केवल इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. शरद पूर्णिमा की रात्रि में भ्रमण और चंद्रकिरणों का शरीर पर पड़ना भी बेहद शुभ माना गया है.