Manpa general meeting on 20, 36 members will be appointed

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अमरावती. जिला परिषद के समाज कल्याण विभाग से ग्रामीण क्षेत्र के ग्रंथालयों के लिए खरीदी की गई किताबों की निविदा प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. पांच लाखों के किताबों की खरीदी 25 लाख रुपयों में करने का मामला सामना आया है. इतना ही नहीं तो समाज कल्याण की ओर से बगैर टेंडर जारी कर ही यह प्रक्रिया किए जाने से अब अधिकारियों ने हाथ झटकना शुरू कर दिए है. 

किताबों की संख्या भी हुई कम 

समाजकल्याण की बैठक में एक सदस्य द्वारा हंगामा मचाने से यह मामला सामने आया. समाज कल्याण विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्र के सार्वजनिक ग्रंथालयों के लिए स्पर्धात्मक किताबें व अन्य किताबों की खरीदी की जाती है. ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 125 ग्रंथालयों में 75 किताबों की सेट निर्धारित किया है. उसके अनुसार ही किताबों की आपूर्ति करना अपेक्षित होते हुए भी 75 किताबों का सेट 35 पर आ गया.

निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के पूर्व किताबों का ऍक्नॉलेजमेंन्टफ लगाना जरुरी होते हुए भी आपूर्ति धारकों से किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं लगाए. 3 से 11 दिसंबर तक समयावधि देने के बाद भी तय समय में शर्ते पूर्ण कर करते हुए ही उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर फाइल ओके कर दी. एक प्रकाशन संस्था से 75 की बजाए केवल 11 किताबे नमूने के तौर पर दी गई. ग्रंथालयों को आपूर्ति करनेवाले किताबों की संख्या अचानक कम कैसे हुई यह बात जब ध्यान में आयी तो मामला उजागर हुआ. 

सभापति अनभिज्ञ

समाजकल्याण जैसे महत्व समिति के सभापति को अंधेरे में रखकर अधिकारियों ने बगैर टेंडर के ही प्रक्रिया पूर्ण करने का निर्णय लिया था. जब यह बात सभापति से पूछी गई तो उन्होंने इससंदर्भ में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं होने की बात कहीं. 

कार्रवाई करेंगे

समाजकल्याण विभाग से संबंधित इस मामले में किसी भी सदस्य की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. शिकायत आने पर नियम के अनुसार ही कार्रवाई करेंगे. – अमोल येडगे, सीईओ जिला परिषद