50 Prashant farmers again accused by former agriculture minister Bonde of moneylenders
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    अमरावती. राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने किसानों को लुटकर बीमा कंपनियों की जेबें भरने का अभियान शुरू कर दिया है. ऐसा आरोप पूर्व कृषि मंत्री डा. अनिल बोंडे ने लगाया. खरीफ-2019 में फडणवीस सरकार ने 85 लाख किसानों को 5,795 करोड़ रुपए का फसल बीमा लाभ दिलाया था, लेकिन ठाकरे सरकार ने फसल बीमा कंपनियों के लाभ के लिए बीमा के नियमों में बदलाव कर किसानों के साथ धोखाधड़ी की.

    फलस्वरुप ठाकरे सरकार के आशीर्वाद से बीमा कंपनियों ने 4,234 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है. यह दावा भी डा. बोंडे ने दस्तावेजी प्रमाण दिखाकर किया. इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी, शहराध्यक्ष किरण पातुरकर उपस्थित थे.

    बीमा कंपनियों को अमीर बनाने का फंडा

    प्रधानमंत्री फसल बीमा किसानों के फायदे के लिए है, लेकिन राज्य सरकार ने इसे बीमा कंपनियों को अमीर बनाने का गोरखधंधा बना ड़ाला है. देवेंद्र फडणवीस के तत्कालीन शासन काल में खरीफ 2019 में महाराष्ट्र में 128 लाख किसानों ने फसल बीमा लिया था. जिसमें किसानों का हिस्सा 678 करोड़ रुपये था, जबकि राज्य और केंद्र सरकार का हिस्सा 4788 करोड़ रुपये था. 2019 खरीफ में 85 लाख किसानों को 5,795 करोड़ रुपये का फसल बीमा मिला था, और उसका वितरण भी किया गया.

    लेकिन खरीफ 2020 के लिए उद्धव ठाकरे सरकार ने फसल बीमा के मानदंडों को ही बदलाव कर दिया. खरीफ-2020 में 107 लाख किसानों ने खरीफ फसल बीमा लिया था. इसके लिए किसानों ने 530 करोड़ रुपये, राज्य सरकार ने 2438 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार ने 2249 करोड़ रुपये का भुगतान किया. 

    केवल 15 लाख किसानों को मुआवजा 

    खरीफ 2020 में बेमौसम बारिश और चक्रवात जैसे कई संकट आए. बोंड इल्ली के कारण कपास उत्पादन में गिरावट आई है. सोयाबीन के बीज तक उपलब्ध नहीं हो पाए. सभी फसलों की बिकट स्थिति के बावजूद बीमा कंपनियों ने कृषि विभाग के साथ हाथ मिलाकर केवल 15 लाख किसानों को 974 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया.

    जिसमें से 743 करोड़ रुपये केवल 11 लाख किसानों को वितरित किए गए. लेकिन ठाकरे सरकार के आशीर्वाद से खरीफ 2020 में बीमा कंपनियों को 4,234 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. बीमा कंपनियों को अमीर बनाने का धंधा आघाड़ी सरकार ने शुरू किया है. इसलिए फसल बीमा योजना के किसान विरोधी मानदंड तुरंत बदलने की मांग डा. बोंडे ने की. 

     कृषि मंत्री इस्तीफा दें

    अमरावती संभाग में 14 लाख 85 हजार 424 किसानों ने बीमा लिया था. इस बीमा से 11 लाख 41 हजार हेक्टेयर फसल की रक्षा हुई थी. इनमें सोयाबीन, कपास और अरहर का समावेश है. जिसके लिए बीमा कंपनी को किसानों, राज्य सरकार और केंद्र सरकार से 694 करोड़ रुपये मिले थे. लेकिन बीमा कंपनियों ने 14 लाख किसानों में से मात्र 2 लाख 68 हजार किसानों को सिर्फ 229 करोड़ रुपए का बीमा स्वीकृत किया गया था. और अब तक केवल 2 लाख 6 हजार किसानों को 162 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है.

    अकेले अमरावती संभाग से बीमा कंपनियों ने 465 करोड़ रुपये शुद्ध लाभ कमाया है. यही हाल समूचे राज्य का है.  इसलिए मौसम आधारित बाग बीमा योजना के सभी बदले हुए मापदंड़ों को निरस्त करें. कृषि विभाग के जिन मंत्रियों और अधिकारियों ने फसल बीमा के मापदंडों को बदलकर और 3 साल के लिए कम उत्पादन सीमा दिखाकर बीमा कंपनी के साथ समझौता किया है. ऐसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर कृषि मंत्री तत्काल अपना इस्तीफा दें, यह मांग भी डा. बोंडे ने की.