अमरावती. शहर में अपराधिक गतिविधियां दिन ब दिन तेज हो रही है. झोपड़पट्टी व स्लम एरिया क्षेत्रों में नए गुंडे-बदमाश अपना गिरोह बनाकर भाईगिरी व गुंडागर्दी कर रहे है, इनमें अधिकांश गुडे-बदमाश पुलिस रिकार्ड पर भी नहीं है, फिर भी उनका क्षेत्रों में बोलबाला है. यहि वजह है पिछले 2 माह के भीतर 5 हत्याएं हुई है.
शहर में लगातार हत्याओं का सिलसिला शुरु होने से लोगों में असुरक्षिता व भय का वातावरण बना हुआ है. जिन सक्रिय बदमाशों पर अंकुश लगाने में पुलिस हर मोर्चे पर विफल नजर आ रही है. जिससे नागरिकों की सुरक्षा को लेकर प्रश्न चिन्ह निर्माण हो गया है.
पुलिस का नहीं रहा खौफ
कोरोना महामारी के कारण आधा दिन लाकडाउन की स्थिति होने के बाद भी लोग दिनदहाडे हत्या व जानलेवा हमला कर रहे है, मानो उनमें पुलिस का जरा सा खौफ नहीं बचा है. कोई भी किसी भी, समय किसी की भी हत्या कर रहा है. जिसके चलते लगातार हत्याओं का सिलसिला शुरु है.
19 मई को बडनेरा में अर्जुन माधवसिंग वर्मा (25, इंदिरा नगर), 30 मई को राजापेठ में रोहन उर्फ बच्चु किसन वानखडे(28, बेलपुरा), 4 जुन को राजापेठ क्षेत्र में अशोक उत्तम सरदार (38, जेवड नगर) तथा 2 जुलाई को आकाश प्रकाश वलन (25, आदिवासी कालोनी) तथा 6 जुलाई को ऋतिक निलकंठ बेलेकर (19) की हत्या हुई है. तत्कालीन सीपी अमितेशकुमार के समय सक्रिय अपराधियों की वन बाय वन पेशी लेकर तडीपारी, एमपीडीए तथा मकोका जैसी पुलिस कार्रवाई से गुंडे-बदमाशों में खौफ नजर आता. इन पुलिस कार्रवाई व दबिश के कारण अधिकांश बदमाशों ने सिटी छोड़ दी थी.
हर मोर्चे पर विफल रही पुलिस
जिससे संगीन क्राइम की घटनाओं पर अंकुश लगाने में पुलिस सफल हुई थी, लेकिन इस वर्ष ना तो क्राइम ब्रांच और ना ही थाना स्तरों पर इन आरोपियों की पेशी व कार्रवाई हो रही है, जिससे यह गुंडे बदमाश पूरी तरह आजाद अपनी मनमाने तरीके से लोगों को डरा धमकाकर खुलेआम गुंडागर्दी कर है. जिन पर अंकुश लगाना मानो पुलिस के बस में ना रहा हो. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस दिशा में उचित कदम उठाना चाहिए.