अमरावती. गत् डेढ़ वर्ष से कोरोना संकट के चलते घाटे में चल रहे राज्य परिवहन महामंडल (एसटी) को महाकार्गो ने राहत दिलाई है. अमरावती, अकोला, यवतमाल व बुलड़ाणा आदि चार जिलों में डेढ़ वर्ष में एसटी महामंडल को 6 करोड़ 74 लाख रुपयों की आय हुई है. कोरोना से भले ही एसटी के पहिये यात्रियों के लिए थमे रहे, लेकिन माल ढुलाई के लिए एसटी बसें दौड़ाए जाने से महामंडल को आर्थिक राहत प्रदान हुई.
यात्री यातायात बंद से करोड़ों का घाटा
फिलहाल अनलाक होने से एसटी महामंडल ने एसटी बसों को दुबारा दौड़ाना शुरू कर दिया है. बावजूद इसके शाला और महाविद्यालय शुरू नहीं रहने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कम पैमाने बसें दौड़ाई जा रही है. जिससे एसटी की आय में रोजाना लाखों रुपयों का घाटा सहन करना पड़ रहा है. ऐसे में विपरित परिस्थिति में एसटी की महाकार्गों वाहन मदद के लिए दौड़ आए.
माल ढुलाई से प्राप्त होने वाली आय संतोषजनक रहने से राज्य परिवहन महामंडल को नो लास, नो प्राफिट हो रहा है. गत् जनवरी माह से अमरावती, अकोला, बुलडाना व यवतमाल आदि चार जिलों में यह माल ढुलाई शुरू की गई है. अन्य जिलों की तुलना में वाशिम जिले में यह प्रभावशाली नहीं बन पाई.
अकोला को सर्वाधिक 2.19 करोड़ की आय
अमरावती जिले में एसटी के 25 वाहन महाकार्गों के लिए दौड़ाए जा रहे हैं. डेढ वर्ष में 2 हजार 852 फेरियां 4 लाख 10 हजार किलोमीटर का सफर पूर्ण किया. जिसमसे एसटी को 1 करोड़ 62 लाख रुपयों की आय प्राप्त हुई. अकोला जिले में 25 माल ढुलाई करने वाले वाहन दौड़ाए. अभी तक इन वाहनों ने 2 हजार 823 फेरियां पूर्ण कर 4 लाख 22 हजार किलो मीटर का सफर किया. जिससे 2 करोड़ 19 लाख रुपयों की आय प्राप्त हुई.
बुलडाना जिले में 1 लाख 744 फेरियों के माध्यम से 3 लाख 14 हजार किलोमीटर का सफर पूर्ण किया. 1 करोड़ 15 लाख रुपयों की आय प्राप्त हुई है. यवतमाल जिले में एसटी ने 3 हजार 21 फेरियों से 4 लाख 22 हजार किमी का सफर पूर्ण किया. जिससे 1 करोड़ 78 लाख रुपयों की आय प्राप्त हुई. यात्री यातायात पर कोरोना से परिणाम होने के बावजूद महाकार्गों ने एसटी को आर्थिक राहत दिलाई है.
आय का नया विकल्प मिला
कोरोना प्रादूर्भाव के चलते एसटी महामंडल पर सर्वाधिक असर दिखाई दे रहा था. 6 माह तक एसटी के पहिए एक जगह खड़े रहने से माल ढुलाई से आय का नया विकल्प मिला है. माल ढुलाई से एसटी को अमरावती विभाग से 7 करोड़ के आसपास आय प्राप्त हुई है. -श्रीकांत गभणे, नियंत्रक, अमरावती विभाग