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    अमरावती. जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक ने ब्रोकर के माध्यम से 700 करोड़ रुपए निवेश किए हैं. यह खुलासा स्वयं जिप अध्यक्ष तथा बैंक के पूर्व अध्यक्ष बबलू देशमुख ने शुक्रवार को पत्रवार्ता में किया. बैंक के संचालक मंडल की अनुमति से ही यह करोड़ों का निवेश किया गया है. लेकिन बैंक प्रशासन ने संचालक मंडल को अंधेरे में रखते हुए निवेश प्रकिया में ब्रोकर की नियुक्ति की है. इस मामले की जांच शुरू है. किसानों का पैसा पूर्ण रूप से सुरक्षित है. फोटो – 16 जिला बैंक प्रेस

    जांच समिति गठित

    जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के 700 करोड़ रुपए ब्रोकर के माध्यम से निवेश किए जाने के मामले में बैंक प्रशासक द्वारा संबंधितों को नोटिस जारी हुए है. बैंक संचालक मंडल का ब्रोकर नियुक्ति में कोई लेना देना नहीं है. इस निवेश से बैंक को 273 करोड़ का मुनाफा होकर किसानों के पैसे सुरक्षित रहने की बात बबलू देशमुख ने बताते विरोधियों के आरोप निरर्थक रहने का दावा किया.

    कर्मियों ने अंधेरे में रखा

    एक जमाने में गर्दीश में रही जिला मध्यवर्ती बैंक में 10 साल पहले सहकार पैनल सत्ता में आया तब बैंक का निवेश 600 करोड़ था. विगत 10 साल में यह निवेश अब 2,300 करोड़ पर पहुंच गया है. किसानों को दिए वचनों की पूर्ति करते बैंक ने किसानों के लिए को कर्ज, गिरवी व शुभमंगल योजना आरंभ की. जिसके बाद से बैंक का मुनाफा बढ़ गया है. ज्यादा ब्याज मिलने वाले क्षेत्र में निवेश करने का जो निर्णय संचालक मंडल द्वारा लिया गया था. उसके तहत बैंक से बैंक ऐसा व्यवहार अपेक्षित था.

    लेकिन बैंक के कुछ अधिकारी, कर्मचारियों ने संचालक मंडल को अंधेरे में रखकर निवेश प्रकिया में ब्रोकर की नियुक्ति कर डाली. इस मामले की स्वतंत्र जांच शुरू रहने की जानकारी भी देशमुख ने दी. पत्रवार्ता में प्रा.वीरेंद्र जगताप, प्रा. प्रकाश कालबांडे, दयाराम काले, अनंत साबले, संजय वानखडे, रवींद्र गायगोले, प्रविण काशीकर, सुभाष पावडे, प्रदीप निमकर,बालासाहेब अलोणे, नितीन हिवसे आदि उपस्थित थे.

    ब्याज से 273.86 करोड़ का लाभ

    बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष देशमुख के कार्यकाल में वर्ष 2017 से 2020 दौरान निप्पान म्यूच्युअल फंड में नियमानुसार 700 करोड़ रुपए निवेश किए गए. इस निवेश से बैंक को 273.86 करोड़ रुपए इतना फायदा हुआ. लेकिन इस निवेश प्रकिया में बैंक व्यवस्थापण द्वारा ब्रोकर नियुक्ति की बात पता चलते ही महाव्यवस्थापक को जवाब मांगने पर रेड्डी नामक ब्रोकर को दिए गए पत्र पर महाव्यवस्थापक की स्कैन किए हुए हस्ताक्षर का इस्तेमाल होने का मामला सामने आया. इस मामले में एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया. भाजप सत्ता में रहते वक्त इस मामले पर उन्होनें ईडी, सीबीआय की जांच क्यों नहीं लगाई, यह सवाल भी किया.

    राज्यमंत्री बच्चू के इशारे पर बदनामी

    ब्रोकर रेड्डी द्वारा कंपनी को दिए गए बैंक पत्र में कोई आवक या जावक क्रमांक नहीं है. इस वजह से यह काम बैंक से नहीं होने की बात देशमुख ने कही. महाप्रबंधक, ब्रोकर रेड्डी, साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों को 5-6 बार नोटिस दी गई. नाबार्ड तथा सीए द्वारा किए गए ऑडिट में कोई आपत्ति नहीं पाई गई. आगामी चुनावों के मद्देनजर विरोधियों की यह बदनाम करने की साजिश है. देशमुख ने यह भी कहा कि राज्य के मंत्री बच्चू कडू के कहने पर प्रहार कार्यकर्ता दीपक ढोरे ने यह पत्रवार्ता आयोजित की है.

    केवल कमिशन का खेल

    ब्रोकर के माध्यम से यह निवेश केवल कमिशन के लिए किया गया हैं. वर्ष 2017 में हुए निवेश में ब्रोकर शामिल होने की जानकारी तीन वर्षों के बाद होना, संचालकों का इससे अधिक लापरवाह कामकाज क्या हो सकता है. इसकी जानकारी संचालक मंडल को नहीं है, तो उन्हें कैसे किसान नेता कहा जाना चाहिए. यदि लेन-देन अंधेरे में किया गया था, तो यह अभी तक फौजदारी कार्रवाई क्यों नहीं की गई. केवल कमिशन के लिए बैंक का उपयोग किया गया है-बालासाहब वानखड़े, पूर्व संचालक