APMC meeting canceled due to lack of quorum, 11 members refuse

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    • संचालक गुहे की कलेक्टर से शिकायत 

    अमरावती. कृषि उपज मंडी में अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत चरितार्थ हो रही है. कृउबा में मार्केट निर्माण समेत अन्य 17 कार्यों को पूर्ण नहीं किये जाने के बावजूद पुणे की मे. मिश्रा असोसिएटस् कंपनी को 90 लाख रुपए का बिल देने के लिए सोमवार को आनलाइन बैठक बुलाये जाने से संचालक मंडल फिर एक बार सुर्खियों में हैं. इस मामले में कृउबा के स्वीकृत संचालक विनोद गुहे ने जिला उपनिबंधक, जिलाधिकारी को लिखित शिकायत दी है. जिसमें काम पूर्ण किये बगैर इस ठेकेदार को 90 लाख रुपए का बिल नहीं देने की गुहार लगाई है. 

    2014 से तीन बार एक्सेटेंशन 

    कृषि उपज मंडी द्वारा पुण की मिश्रा असोसिएटस् कंपनी को 19 जून 2014 को मार्केट निर्माण समेत 17 कार्यों की वर्क आर्डर दी गई थी. इन कार्यों की प्रत्यक्ष शुरुआत 30 जुलाई 2014 को हुई. यह काम निपटाने के लिए इस ठेकेदार को निविदा के नियमों के अनुसार 12 माह की कालावधि दी गई थी, लेकिन इन 7 वर्षों में संबंधित ठेकेदार ने 17 कार्यों में से केवल 5 काम निपटाए हैं. वर्ष 2014 से मिश्रा असोसिएटस् को कृषि उपज मंडी ने तीन बार समयावधि बढ़ाकर दी. उसके बाद भी इस ठेकेदार ने काम पूर्ण नहीं किया. जिससे कृउबा ने मिश्रा असोसिएटस् को टर्मिनेट कर उसका ठेका रद्द कर दिया गया था. 

    6.50 करोड़ की सब्सिडी भी डूबी

    इस ठेकेदार ने मोबीलाइजेशन एडवान्स भी बिना ब्याज के इस्तेमाल किया. इस निर्माण कार्य के लिए पणन संचालक से प्राप्त 6.50 करोड़ की सब्सिडी भी मिली थी, लेकिन इस ठेकेदार की लापरवाही के कारण यह सब्सिडी से भी वंचित होना पड़ा है. जिसके लिए काफी हद तक संचालक मंडल भी जिम्मेदार है. मे. मिश्रा असोसिएटस् कंपनी ने कृषि उपज मंडी को ठेका लेते समय जो बैंक गारंटी दी थी. कृउबा ने यह बैंक गारंटी वसूल की है. इस ठेकेदार से ब्याज समेत रकम वसूल करने का निर्णय सर्वसहमति से कृउबा में हुआ था. लेकिन उसके बाद भी इस ठेकेदार से अभी तक ब्याज वसूल नहीं किया गया है. 

    वसूल नहीं की ब्याज समेत रकम 

    इस ठेकेदार से 2 करोड़ 37 लाख 67 हजार 422 रुपए अग्रीम लेना बाकी है. लेकिन फिर भी काम पूर्ण नहीं किये जाने के बावजूद ठेकेदार से ब्याज समेत रकम वसूल नहीं की गई. जिससे कृउबा की रकम की दुरुपयोग हुआ है. यह तथ्य 2017-19 की आडिट रिपोर्ट में भी लेखा परिक्षक ने उजागर किया था. कृउबा द्वारा इस ठेकेदार के अर्थपूर्ण व्यवहार आगे बढ़ाए गए. इसके पहले भी सभी नियमों का ताक पर रखकर ठेकेदार के करोड़ों रुपए के बिल कृउबा ने कोई विचार-विनिमय किए बैगर पास किए. 

    किसानों के लिए नहीं क्यों नहीं दिखाते तत्परता 

    गुहे के अनुसार इस ठेकेदार ने पणन संचालक, पुणे से मान्यता लेने की जानकारी मिली है. परंतु इस मुद्दे पर गुहे को मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन पणन संचालक द्वारा इस मामले में यदि उतनी रकम में ही वे काम किये जा सकते है तो ही काम करवाए जाए, अन्यथा कन्वेलसेशन (पीबीएक्स) शेड बनाने का निर्णय लें. यह जवाब कृउबा को दिया गया था. अब तक किसानों की समस्याओं पर कृउबा ने कभी भी इस तरह की तत्परता नहीं दिखाई. जिसमें संवेदनशीलता दिखाई पड़े. मे. मिश्रा असोसिएटस् का 90 लाख रुपए के बिल का भुगतान करने के लिए कृउबा का संचालक मंडल भारी उठापटक में जुटा है. किसानों के लिए मार्केट बंद के समय इस तरह की तत्परता कृउबा के संचालक मंडल द्वारा क्यों नहीं दिखाई जाती. ठकेदार के अर्थपूर्ण व्यवहार के लिए आनन-फानन में बैठक बुलाना इतना क्या जरूरी हो गया है. ऐसा सवाल उठाते हुए संबंधितों को आदेश देते हुए ठेकेदार का बिल ना निकालने की सूचना दी जाए. यह मांग संचालक विनोद गुहे ने की है.   

    जानकारी नहीं

    इलाज के सिलसिले में मैं अस्पताल में भर्ती है. एपीएमसी में इस प्रकार की बैठक की कोई जानकारी नहीं है.- अशोक दहिकर, सभापति, एपीएमसी

    नहीं हुई मीटिंग

    एमपीएमसी में किसी भी प्रकार की ऑनलाईन मीटिंग नहीं हुई है. – नाना नागमोते, उपसभापति, एपीएमसी