पथ्रोट. तहसील अंतर्गत जो क्षेत्र कभी मिर्च व मूंगफली की फसल का गढ़ माना जाता था, लेकिन लगातार बीमारी के चलते किसानों ने इन फसलों का विकल्प तलाश लिया है. अब क्षेत्र के किसान आधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए बैंगन की खेती कर रहे है. क्षेत्र में उत्पादित हरे बैंगन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़िसा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित मद्रास व पूरे भारत के बाजारों में अपनी विशेष पहचान बनाए हैं.
लाखों का मुनाफा
पहले पारंपरिक रूप से बैंगन खेत में उगाया जाता था, लेकिन अब नर्सरी में पौधे तैयार कर उसे प्लास्टिक के पन्नी का उपयोग करते हुए खेती में बोया जा रहा है. प्रति एकड़ 1 रुपये की दर से 1.5 एकड़ क्षेत्र में 10,000 रुपये के पौधे लगते हैं. इस रोपण के साथ प्लास्टिक की पन्नी, मल्चिंग, जुताई, ड्रिप सेट और रासायनिक कीटनाशक छिड़काव की कुल लागत 1 लाख रुपये आती है. जिससे लागत खर्च निकालने के बाद 2 लाख रुपये का शुद्ध लाभ होने की बात किसान महेंद्र भगत ने बताई. उन्होंने सभी किसानों से अपील की है कि वे आधुनिक तकनीक अपनाएं.
तकनीक का प्रभाव
आज के किसान आधुनिकता को प्राधान्य देते हुए नवीनतम तकनीक के साथ खेती कर रहे हैं. कृषि विभाग की जनजागृति का यह परिणाम कहा जा सकता है. प्लास्टिक कवर पर बुआई करने से बुआई का लागत खर्च भी का आता है.- प्रफुल्ल सातव, कृषि अधिकारी अचलपुर.