Cooperative sector opposes new orders of the Center

  • किसानों की जातायी लूट की संभावना

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केन्द्र सरकार द्वारा किसानों उनका कृषि माल कही भी बेचने के लिए कानून में बदलाव किया गया है. लेकिन सहकार क्षेत्र द्वारा इस नए कानून का विरोध जाताया जा रहा है इस नए  कानून से किसानों की लुट होने की संभावना अधिक होने की बात परतवाडा एपीएमसी के संचालकों व सभापति द्वारा कही जा रही है. व इस निर्णय का विरोध किया गया है.  

कृषि उपज मंडी में किसानों के हितों की रक्षा

बताया जाता है कि अब तक किसान उत्पादित माल कृषि उपज मंडी में बेचने के लिए लाते थे. जिसके उन्हे उचित मूल्य मिलता था. लेकिन अब नए कानून से कृषि उपज मंडी समिति के अधिकार  को कम किया गया है. जिससे अब व्यापारियों पर लगा नियंत्रण भी हटेगा. उनकी मनमानी बढ़ने से किसानों की लुट होगी. राज्य में कुल 307 कृषि उपज मंडी समितियां है. और 615 उपबाजार समितियां है. 

सेस से चलता आर्थिक खर्च

इन बाजार समितियों में कृषि माल खरीदना बंधनकारक किया गया है. इसके लिए व्यापारियों व अड़तों को नियमानुसार लाईसन्स भी दिए जाते है. किसानों की लुट न हो इस पर ध्यान दिया जाता है. बाजार समिति इस पर ध्यान देती है इसके लिए 1 प्रतिशत सेस, व 5 प्रतिशत पर्यवेक्षण शुल्क लिया जाता है. सेस से ही बाजार समिति का काम काज चलता है. लेकिन नए आदेशों के बाद किसी तरह का कोई नियंत्रण न रहने से किसानों के साथ धोकाधड़ी होने व असुरक्षा जैसी समस्याएं बढ़ेगी. 

शासन को देंगे निवेदन

शासन को निवेदन देकर बाजार समिति के माध्यम से ही किसानों का माल खरीदने व नए निर्णय पर पुर्नविचार करने का आग्रह किया जाएगा. इस नए कानून में किसानों के माल की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है. बाजार व्यवस्था पूरी तरह बिगडेगी. 

अजय पाटिल, सभापति एपीएमसी

किसानों का शोषण बढ़ेगा

नई व्यवस्था में किसानों का आर्थिक शोषण बढ़ेगा. व्यापारियों पर कोई  नियंत्रण नहीं रहेगा. वजन कांटा समिति समाप्त होगी. 

पोपटराव घोडेराव, संचालक  एपीएमसी

किसानों के हित में नहीं  

किसान आर्थिक व्यवस्था का केन्द्र बिन्दू है. लेकिन ने नियम उनके हित में नहीं है. बल्कि व्यापारियों के हितों में है. किसानों को की लूट पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा. यह कानून रद्द होना चाहिए. 

गजानन भोरे, संचालक, एपीएमसी