Millions of tonnes of cotton lying in the homes of farmers, BJP officials sent request to CM
प्रतीकात्मक तस्वीर

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अमरावती. फिलहाल कोरोना के कारण शहर-ग्रामीण क्षेत्र के कई रोजगार डूब गए हैं. किसानों की भी स्थिति उससे कुछ अलग नहीं है. सालभर मेहनत कर उगायी फसलों के दाम भी उचित समय पर नहीं मिलने से किसानों को रात भी खुले में गुजारनी पड़ रही है. पेट की आग बुझाने के लिए किसान घर परिवार छोड़ जान की परवाह न करते हुए रातभर जागने के लिए भी विवश है. बावजूद इसके किसानों की न ही प्रशासन और न ही केंद्र संचालक दखल ले रहे हैं.  

सांप-बिच्छुओं का रहता है डर
अमरावती जिले के माहुली जहांगीर की जिनिंग प्रेसिंग में कपास बेचने गए किसानों को इस वर्ष कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शाम को कपास डालने और उसे बिक्री के लिए केंद्र पर ले जाना जब तक उसकी विक्री नहीं होती तब तक खड़े रहने का काम अब नित्यक्रम हो चुका है. कपास की चोरी नहीं हो इसलिए कुछ किसान रातभर जागते भी है लेकिन नींद आने पर किसान खुले में सांप-बिच्छुओं के बगैर डर के खुले में नीचे ही सोने पर विवश है.

इस वर्ष कोरोना के चलते लाकडाउन में दो माह तक कपास खरीदी बंद कर दी गई थी. जिले के 9 केंद्रों पर जैसे तैसे खरीदी शुरू हुई लेकिन उसमें भी कपास खरीदी केंद्रों की संख्या कम रहने से किसानों को आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताडित होना पड़ रहा है. कपास से लदी गाड़ियां लाने के बाद दिन भर खड़े रहना पड़ता है. नंबर नहीं लगा तो रात भी वहीं गुजरनी पडती है. इसलिए जान हथेली में लेकर किसान रात गुजरते हैं. 

4,096 किसान कतारों में 
जिले में 9 कपास खरीदी केंद्र है जिसमें सीसीआय के 2, कपास पणन महासंघ के 7 केंद्र है. इस वर्ष जिले में अभी तक 5 लाख 230 किसानों का 13 लाख 13 हजार 2020 क्विंटल कपास खरीदा गया. बावजूद इसके 4 हजार 96 किसानों का 1 लाख क्विंटल कपास खरीदी होना शेष है. त्योहारों के दिनों में किसानों को भी सफेद सोने के नगद की जरूरत है. खरीफ फसलों को कीटनाशक, फव्वारणी करने के साथ अन्य काम रहने से किसानों व्दारा कपास की रकम का भुगतान करने की मांग की जा रही है.