करोड़ों हडपे, तीन संस्थाओं पर एफआयआर, आदिवासी विकास प्रकल्प विभाग ने दी रिपोर्ट

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धारणी. मेलघाट में आदिवासी युवक-युवतियों को कौशल्य विकास योजना अंतर्गत विभिन्न प्रशिक्षण देने के साथ ही 40 प्रतिशत प्रशिक्षार्थियों को नौकरी लगाने का झांसा देकर शासन से 1 करोड़ 95 लाख रुपये का अनुदान लेकर जालसाजी करने के मामले में तीन संस्थाओं के खिलाफ शनिवार को मामला दर्ज किया गया. इस मामले में एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प के सहायक प्रकल्प अधिकारी किशोर पटेल की शिकायत पर धारणी पुलिस ने  जाणता राजा चैरिटेबल संस्था (परभणी), क्रांति ज्योति प्रमिलाबाई चव्हाण महिला मंडल (परभणी) व श्रीमंत महाराज माधवराव सिंधियाजी फाउंडेशन (औरंगाबाद) के खिलाफ यह एफआयआर दर्ज की है. प्रशिक्षण का यह मामला वर्ष 2015-16 का है.

शासन से 1.95 करोड़ की जालसाजी  

सहायक प्रकल्प अधिकारी की पुलिस रिपोर्ट के अनुसार आदिवासी विकास विभाग के अपर आयुक्त कार्यालयस्तर पर जारी आदेश के बाद 17 अप्रैल 2020 को जांच समिति गठीत कर मामले की जांच की गई. समिति ने इस प्रकरण में जांच में पाया कि शासन के कौशल्य विकास योजना अंतर्गत 1 करोड 95 लाख 82 हजार 133 रुपए की अनियमितता की गई. संबंधित तीनों संस्थाएं अस्तित्व में नहीं होने के बावजूद यह आर्थिक गबन कर राज्य सरकार के साथ जालसाजी की गई. 

एमएलसी देशपांडे ने किया उजागर

तीन संस्थाओं द्वारा कौशल्य विकास योजना के निधी में बडे पैमाने पर अनियमितता किए जाने का यह मामला शिक्षक विधायक प्रा.श्रीकांत देशपांडे ने उजागर किया. इस बारे में उन्होंने आदिवासी विकास विभाग से की शिकायत के बाद जांच समिति गठीत कर पडताल की गई. जिसमें उनकी शिकायत में तथ्य पाया गया है.

आर्थिक अपराध शाखा करेगी जांच

आदिवासी प्रकल्प विभाग की निधी में करोडों की अनियमितता किए जाने के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली गई है. इस प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जा रही है. 

लहुजी मोहन धुले, थानेदार, धारणी  

बोगस दस्तावेज व हलफनामा

आदिवासी विकास विभाग व्दारा आदिवासियों के उत्थान के लिये विविध योजनाएं चलाई जा रही है. जिनमें से युवक-युवतियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिये कौशल्य विकास व न्यूक्लियरस बजट के माध्यम से वार्ड ब्वॉय प्रशिक्षण, होटल मैनेजमेंट, हास्पिटल मैनेजमेंट, रिटेल मार्केटिंग, इलेक्ट्रीक फिटिंग जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिये तीनों संस्थाओं में जाली दस्तावेज और हलफनामे जमा करवाए. वार्ड ब्वॉय, हास्पिटलिटी मैनेजमेंट व होटल मैनजमेंट प्रशिक्षण के लिये प्रति प्रशिक्षार्थी सरकार व्दारा 50 हजार रुपये का अनुदान दिया गया. जबकि रिटेल मार्केटिंग के लिये प्रति प्रशिक्षार्थी 30 हजार रुपये, इलेक्ट्रीक फिटिंग के लिये प्रति प्रशिक्षार्थी 10 हजार 314 रुपये का अनुदान संस्था को दिया गया. नियम के अनुसार छात्रों को ट्रेनिंग देने के बाद 40 प्रतिशत प्रक्षार्थियों को नौकरी देना भी अनिवार्य है. 

मृत व्यक्ति के नाम प्रमाणपत्र 

इसके तहत धारणी में कुल 105 औरंगाबाद में 185, पुसद में 106, कुनवट में 163, कलनुरी में 54 इस तरह कुल 613 आदिवासी विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया. जिसके लिये तीनों संस्थाओं को कुल 1 करोड़ 95 लाख 82 हजार 133 रुपये का अनुदान मिला. लेकिन इन संस्थाओं ने यह पूरा ट्रेनिंग कार्यक्रम ही बोगस किया. ना ही ट्रेनिंग दी और ना ही प्लेसमेंट. इतना ही नहीं बल्कि बीएचएमएस डाक्टरों को एमबीबीएस बताकर उनके अस्पतालों में प्रशिक्षार्थियों को नौकरी देने के झूठे हलफनामे दाखिल किए गए. जिनका हास्पिटल ही नहीं है, ऐसे लोगों का भी हास्पिटल दिखाकर नौकरियां देने के प्रमाणपत्र दमा कराये गए. सिंधियाजी फाउंडेशन व्दारा स्टाम्प पेपर पर शैलेश अंभोरे को अध्यक्ष-सचिव बताते हुए प्रमाणपत्र दिया गया. जबकि उनकी 14 जुलाई 2014 को ही मौत हो चुकी है.