जिले में प्रतिवर्ष 5 हजार नए कैंसर पेशंट

  • खान-पान, बदलती लाइफ स्टाइल से बढ़ रहे मरीज
  • आज कैंसर जागरूकता दिन पर विशेष

Loading

अमरावती. अब कैंसर से डरे नहीं. जाने और बचाव करें. कैंसर एक ऐसी बीमारी है. जिसका नाम सुनते ही आम आदमी के होश उड़ जाते है. रोगी को मौत सामने दिखाई देती है. वह जिंदा रहने की उम्मीद ही छोड़ देता है. रोगी के साथ-साथ पूरा परिवार भीषण मानसिक परेशानी से गुजरता है. लोगों को लगता है कि इसका कोई इलाज नहीं है. पर ऐसा नहीं है. अगर सही समय पर कैंसर की पहचान हो जाए और समय पर मरीज का इलाज शुरू हो जाए तो वह ठीक हो सकता है. ऐसा दावा शहर के जाने माने कैंसर विशेषज्ञ डा. राजेंद्रसिंग अरोरा ने किया है. 

नवभारत से साक्षात्कार में डा. अरोरा ने बताया कि बड़े बड़े अस्पताल और विशेषज्ञों के साथ मशीनरीज रोगों पर इलाज करने के लिए उपलब्ध हो रही है, लेकिन मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. यही स्थिति कैंसर जैसी खरतनाक बीमारी को लेकर भी तैयार हो रही है. जिले में प्रतिवर्ष 5 हजार से अधिक पेंशट कैंसर से ग्रस्त हो रहे है. हालांकि उसकी तुलना में लोगों में जागरूकता भी बढ़ती जा रही है. बावजूद इसके खान-पान और बदलती लाइफ स्टाइल के कारण मरीजों की संख्या दिन ब दिन बढ़ने का दावा भी उन्होंने किया है.  

गांठ या छाला से बचे

उन्होंने बताया कि कैंसर तो 100 प्रकार के होते है. लेकिन प्रमुख रुप से ब्लड कैंसर, गले का कैंसर, मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, ब्लैंडर, लिवर, बोन, सवाईकल आदि होते है. कैंसर जेनेटिक बीमारी भी होती है. हमारी कोशिकाओं को काबू में करने वाले जिन में बदलाव के कारण कैंसर होता है. महिलाओं में ब्रेस्ट और युवाओं में भी अब गले के कैंसर का प्रमाण बढ़ता जा रहा है. अगर सही समय पर कैंसर की पहचान कर समय पर उपचार शुरू कर दिया जाए तो कैंसर ठीक हो जाता है. आमतौर पर मरीज स्टेज 3-4 में डाक्टर के पास पहुंचते है. जिससे कैंसर पर इलाज करना मुश्किल हो जाता है. ब्रेस्ट में यदि गांठ और मुंह में छाला बहुत दिन से है तो तुरंत बगैर डरे कैंसर अस्पताल में पहुंचना चाहिए. 

इलाज करना भी हुआ आसान 

गांठ या छाले की जांच करने पर कैंसर है अथवा नहीं यह भी मरीज को एक घंटे के भीतर ही पता चल जाता है. तो कैंसर ठीक हो जाता है. सही समय पर जांच और उपचार नहीं होने के कारण यह लाइलाज हो जाता है. स्टेज-1 में कोई भी मरीज कैंसर अस्पताल नहीं पहुंचता. जबकि स्टेज 2 में 70 से 80 फीसदी मरीज आते है. स्टेज-3 में 50 फीसदी मरीज और स्टेज-4 में 10 फीसदी मरीज डाक्टरों के पास इलाज करने पहुंचते है. ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों के लिए महात्मा फुले स्वास्थ्य योजना के तहत लाभ भी दिया जा रहा है.