महाईसेवा केंद्र संचालक पर एफआयआर दर्ज

  • फसल बीमा की रकम करता था हडप

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पथ्रोट. पथ्रोट पुलिस ने अचलपुर तहसील के कुष्ठा में स्थित महाईसेवा केंद्र के संचालक प्रणव हागोणे के खिलाफ मंगलवार को एफआयआर दर्ज की है. 30 किसानों ने फसल बीमा की किश्त के तौर पर 1 लाख 55 हजार रुपये अदा किए, लेकिन महाईसेवा केंद्र के इस संचालक ने केवल 11 हजार 550 रुपये बीमा कंपनी में जमा किए. शेष 1 लाख 40 हजार की रकम हड़प कर ली. 25 से 30 नवंबर 2019 तक हुए  इस मामले में तहसीलदार मदन जाधव की ओर से कर्मी मधुकर संगारे ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है. तहकीकात में और भी किसानों के साथ जालसाजी उजागर होने की संभावना है. जिले में फसल बीमा की रकम डकारे जाने का यह पहला मामला है. जिससे अन्य महाईसेवा केंद्रों की भी जांच हो सकती है. 

30 किसानों के 1.40 लाख डकारे 

अचलपुर तहसील के कुष्ठा के महा ई सेवा केंद्र पर बोपापुर, निजामपुर, रासेगांव के किसानों ने बीमा की नगद रकम भरने की प्रक्रिया पूर्ण की, लेकिन अदा की गई रकम के आधार पर अनुदान नहीं मिलने से महा ईसेवा केंद्र संचालक व्दारा की गई आर्थिक गड़बड़ी की पोलखोल हो गई.  इस संदर्भ में किसानों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपते हुए कार्रवाई करने की मांग भी की है. मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार ने भी महा-ई-सेवा केंद्र के संचालक को दोषी ठहराते हुए एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिये थे. जिसके बाद यह फौजदारी मामला दर्ज हुआ है. 

बीमा कंपनी तक नहीं पहुंची रकम

अचलपुर तहसील के कुष्ठा गांव में महा ई सेवा केंद्र अंतर्गत हमेशा की तरह किसानों ने मौसम पर आधारित संत्र फलबाग का बिमा निकाला. किसानों ने 1 हेक्टयर के अनुसार 3870 रुपये नगद केंद्र संचालक को दिये. लेकिन उस संचालक ने किसानों व्दारा दी गई रकम का और क्षेत्र का पूर्ण बीमा ना निकालते हुए 380 रुपये बीमा कंपनी के पास अदा कर उतने का ही बीमा निकाला. लेकिन जब किसानों को नुकसान भरपाई के रुप में 37 हजार रुपये मिलने थे. लेकिन उन्हें केवल 3880 रुपये की ही नुकसान भरपाई मिली. जिसकी पूछताछ करने के लिए जब किसान महा ई सेवा केंद्र पर पहुंचे तो अन्य किसानों की रकम भी डकार लिये जाने का मामला उजागर हुआ था. 

90 प्रतिशत राशि डकारी

केंद्र संचालक ने बीमा निकालते समय केवल 10 प्रतिशत रकम बीमा कंपनी के पास जमा करायी, जबकि 90 प्रतिशत रकम में आर्थिक गड़बड़ी की है. वर्ष 2017 से उसने इसी तरह किसानों की रकम डकारना शुरु कर दिया. हालांकि उस दौरान किसानों की समझ में नहीं आने से कंपनी के खिलाफ ही आरोप-प्रत्यारोप किये गये, लेकिन जब यह बात किसानों की समझ में आयी तो अब किसानों ने इस संपूर्ण मामले की जांच पड़ताल कर यह सेवा केंद्र भी रद्द करने की मांग की.