- मेलघाट में स्वास्थ सेवा पर और एक मुसीबत
चुरणी. मेलघाट जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही लचर है. उस पर यहां के स्वास्थ कर्मियों को गत 3 माह से वेतन न मिलने से उनमें रोष है. वेतन से वंचित इन कर्मचारियों के परिवारों पर आर्थिक संकट गहरा गया है. परेशान कई कर्मचारियों ने स्वास्थ सेवा की नौकरी ही छोड़ने को तैयार हो गए है.
राज्य सरकार से नहीं मिला अनुदान
स्वास्थ सेवा में नियुक्त कर्मचारियों के वेतन की राशी का अनुदान राज्य सरकार द्वारा न दिए जाने के चलते यह समस्या आयी है. इनमें स्वास्थ सेवक, स्वास्थ्य सहायिका, स्वास्थ विस्तार अधिकारी, सरहित अन्य कर्मचारी अन्य मेलघाट से बालमाता मृत्यु व कुपोषण कम करने के लिए दिन रात एक कर रहे है. कोरना का प्रसार फैल रहा है. 25 मार्च से जारी लाकडाउन के चलते अन्य जिलों व राज्य में काम पर गए मेलघाट के आदिवासी अब अपने गांव आ गए है. इन नागरिकों में कोरोना का प्रसार रोकने के लिए वरिष्ठों के मार्गदर्शन में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए काम किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद इन कर्मियों के परिवारों पर भुखमरी की नौबत आ रही है.
कोराना के समय दोहरी मुसीबत
राज्य सरकार की ओर से जिला परिषद प्रशासन को इन स्वास्थ कर्मियों के लिए वेतन का अनुदान दिया है. लेखा विभाग के अभिकरण लेकाशिर्ष के उपलेखा शिर्ष क्र. 0621 के तहत यह राशी कोषागार में जमा की जाती है. यहां की कैश मैनेजमेंट सर्विस द्वारा यह राशी कर्मियों के खातों में डाली जाती है. कर्मियों का आरोप है कि उन्हे यह राशी हमेशा ही विलंब से मिलती है. लेकिन कोरोना जैसे संकट के समय भी 3 माह से वेतन नहीं मिलने से वे हलाकान है.