धारणी. कोरोना जैसी महामारी की चपेट में पूरा देश फंसा हुआ है. अन्य क्षेत्रों की तरह शिक्षा क्षेत्र भी कोरोना के कारण संकट में है लेकिन मेलघाट में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यहां के छात्रों के भविष्य पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. जहां पर स्कूलों के नाम पर टुटी फुटी, छतें, एक कमरे में 2 कक्षाएं एक साथ, शिक्षकों का अप-डाउन, बिजली, इंटरनेट का अभाव इन सभी के साथ किसी तरह सुरक्षित स्कूली वातारवण दिया जा सकेगा यह चिंतनिय विषय है.
नीतियों में हो स्पष्टता
कोरोना के संकट को देखते हुए स्कूलों में फिजिकल डिस्टेंसिंग, परिसर सैनिटाइज्ड कर स्वच्छ रखना अनिवार्य है. समस्याओं के जाल में उलझी इन शालाओं में यह कैसे संभव होगा. लेकन मेलघाट की स्कूलों में बारिश के मौसम में छतों से पानी टपकना, कमरो का आभाव, शौचालयों की कमी, स्वच्छ पेयजल का आभाव, सहित कई स्कूलों में और समस्याएं है. ऐसे में 15 जुलाई से स्कूलें शुरू करने का निर्णय कितना उचित होगा. यह सवाल पालक व अन्य बुद्धिजिवी उठा रहे हैं. उनका कहना है कि सबसे पहले सरकार शालाएं शुरू करने के लिए नीति तैयार करे व उसमें स्पष्टता लाए.
ऐसी है मेलघाट की शिक्षा व्यवस्था
मेलघाट की अचलपुर व धारणी इन दोनों तहसीलों में कुल 350 गांवों का समावेश है. इनमें से अधिकांश गांवों में स्कूलों की हालत बदत्तर है. कक्षा पहली से 8वीं तक के लिए केवल 4 कमरे हैं, जिससे एक कमरे में 2 कक्षाएं चलती है. बगैर बैंच के एक कक्षा में 80 -90 बच्चे एक दूसरे से सटकर बैठते है. अधिकांश कक्षाओं में बारिश के पानी से भरे डबरे. इस बिज छात्र सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे करेंगे. नियोजन शून्यता के बिच जिंदा रहना जरूरी है या शिक्षा, यह एक सवाल है. गांव में इंटरनेट ही नहीं है, तो कैसे बच्चे ऑनलाइन पर फोकस करेगें.
नियोजनबद्ध कार्रवाई की जाएगी
वर्तमान परिस्थिति का अवलोकन कर भविष्य में क्या उपाय योजनाएं की जा सकती है. इस दिशा में नियोजनबद्ध कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा का स्तर उठाने के लिए काम होगा-राजकुमार पटेल, विधायक